Starlink satellite: Starlink सैटेलाइट इंटरनेट की कीमतें जारी, JIO और Airte खटिया खड़ी करने आया, Starlink
भारत में Starlink सेवा की संभावित लागत का खुलासा हुआ है, जिसमें उपयोगकर्ताओं को हर महीने अतिरिक्त ₹7,425 का भुगतान करना होगा। हाल ही में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घोषणा की कि भारत Starlink को सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए लाइसेंस देने को तैयार है, बशर्ते कंपनी भारतीय सुरक्षा और नियामकीय नियमों का पालन करे।
मंत्री सिंधिया ने बताया कि Starlink को अन्य सैटेलाइट सेवाओं की तरह सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, Starlink ने भारतीय नियमों के तहत डेटा स्टोरेज और सुरक्षा संबंधित आवश्यकताओं को मान्यता दी है, जो इस सेवा के लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, कंपनी को इन नियमों को स्वीकार करने की औपचारिक प्रक्रिया अभी बाकी है।
इसके अलावा, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन का भी इस सेवा की लागत पर असर पड़ेगा। सरकार ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए प्रशासनिक आवंटन की योजना बनाई है, लेकिन इसके बारे में अंतिम सिफारिशें 15 दिसंबर तक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा दी जानी हैं। इस निर्णय से सरकार को यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए रेडियो तरंगों का आवंटन किस तरह किया जाएगा, जिससे पूरे देश में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाओं का विस्तार संभव हो सकेगा।
TRAI वर्तमान में इन नियमों पर जनसुनवाई के परिणामों की समीक्षा कर रहा है, जिसमें कुछ नए मुद्दे भी शामिल हैं, जो पहले के परामर्श दस्तावेज़ में नहीं थे। अब सवाल यह उठता है कि यदि Starlink का योजना सफलतापूर्वक लागू होती है, तो भारत में इसकी सेवा की लागत कितनी होगी?
भारत में Starlink सेवा की संभावित लागत
हालांकि Starlink की सेवा की कीमत अभी आधिकारिक रूप से घोषित नहीं की गई है, लेकिन कंपनी के पूर्व प्रमुख के अनुसार, पहले साल में इसकी कुल लागत लगभग ₹1,58,000 हो सकती है। दूसरे साल से इसकी वार्षिक लागत ₹1,15,000 तक हो सकती है, जिसमें 30% टैक्स भी शामिल है। यह इसलिए क्योंकि सेवा के लिए आवश्यक उपकरण एक बार ही खरीदे जाते हैं, और इसके बाद केवल मासिक शुल्क का भुगतान करना होता है।
उपकरण की अनुमानित कीमत ₹37,400 के आसपास हो सकती है, जबकि मासिक सेवा शुल्क ₹7,425 हो सकता है।
भारत में टेलीकॉम कंपनियों की आपत्ति
Starlink के भारत में परिचालन शुरू होने के साथ ही प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इन कंपनियों का कहना है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के माध्यम से किया जाना चाहिए, ताकि सभी ऑपरेटरों को समान अवसर मिल सकें। उनका तर्क है कि वे पहले से ही टेलीकॉम टावरों और अन्य बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर चुके हैं, इसलिए उन्हें इस स्पेक्ट्रम को खरीदने का समान अवसर मिलना चाहिए।
इस पर Starlink ने प्रतिक्रिया दी है कि उनकी सेवा पारंपरिक टेलीकॉम सेवाओं से अलग है, क्योंकि यह उपग्रह आधारित इंटरनेट प्रदान करती है, और इसके लिए टेलीकॉम नेटवर्क की आवश्यकता नहीं होती।