आखिर क्यों बंद हो रहा है राधा स्वामी चेरिटेबल अस्पताल , यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी।
हमीरपुर जिला के भोटा कस्बे में स्थित भोटा चैरिटेबल अस्पताल ने 1999 से गरीब और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान की हैं। यह अस्पताल राधा स्वामी सत्संग ब्यास द्वारा चलाया जाता है और आसपास के कई जिलों जैसे हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, नादौन, ज्वालामुखी के नागरिकों को इलाज की सुविधा देता है। अस्पताल में 75 बिस्तरों की सुविधा, ऑपरेशन थिएटर, एक्सरे, ईसीजी, दांतों का इलाज, और ब्लड बैंक जैसी सुविधाएं हैं, जो मरीजों के इलाज में मदद करती हैं। यहां करीब 1.30 लाख ओपीडी (आउटडोर मरीज) सालाना आती हैं और करीब 9500 मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है।
सभी के लिए समर्पित चिकित्सा सेवा
अस्पताल में 10 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम, 21 नर्सें, और 16 तकनीकी स्टाफ हैं, जो अपनी सेवा भाव से काम कर रहे हैं। अस्पताल में हर साल आंखों के लगभग 1500 मेजर ऑपरेशन और 1400 छोटे ऑपरेशन होते हैं। यहां मरीजों को प्री-ऑपरेटिव और पोस्ट ऑपरेटिव केयर का भी ध्यान रखा जाता है। यह अस्पताल न केवल मुफ्त इलाज प्रदान करता है, बल्कि यह कई गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए एक आशा की किरण बन चुका है।
क्यों हो रहा है अस्पताल का ट्रांसफर?
हाल ही में अस्पताल के राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रबंधन ने मांग की है कि अस्पताल को उनके एक सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन, महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को ट्रांसफर कर दिया जाए। इसका मुख्य कारण अस्पताल में आधुनिक उपकरणों पर जीएसटी का भुगतान है, जो वर्तमान में अस्पताल पर एक वित्तीय बोझ बना हुआ है। अस्पताल को ट्रांसफर करने की योजना यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि अस्पताल की सेवाएं और गुणवत्ता बनी रहें, और इससे जीएसटी से संबंधित समस्याओं का समाधान भी हो सके।
स्थानीय लोगों की चिंताएं
अस्पताल के बंद होने या ट्रांसफर होने की खबर से स्थानीय लोग चिंतित हैं। डीसी अमरजीत सिंह ने कहा कि इस मामले को राज्य सरकार के ध्यान में लाया गया है, और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे पर विधेयक लाने की बात की है। सरकार की तरफ से कार्रवाई की जाएगी, लेकिन स्थानीय लोग चाहते हैं कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास की मांग पूरी की जाए, ताकि अस्पताल की सेवाएं बिना किसी रुकावट के जारी रह सकें। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस अस्पताल में लाखों लोग निर्भर हैं, और यदि इसे बंद किया गया तो यह उनके लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
भोटा चैरिटेबल अस्पताल ने पिछले दो दशकों में गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए अमूल्य सेवा दी है, और इसका बंद होना या ट्रांसफर होना कई लोगों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। स्थानीय लोगों का इस अस्पताल पर गहरा विश्वास है, और वे चाहते हैं कि अस्पताल की सेवाएं निरंतर चलती रहें। राज्य सरकार द्वारा इस मामले में शीघ्र और प्रभावी निर्णय की आवश्यकता है ताकि अस्पताल के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके और लाखों लोगों को जारी चिकित्सा सेवाएं मिल सकें।