Navratri 2024, नवरात्रि का तीसरा दिन, क्या हैं मां चंद्रघंटा की पूजा के नियम, यहां जानें
मां चंद्रघंटा: नवरात्रि की तीसरी शक्ति
मां चंद्रघंटा नवरात्रि के दौरान पूजा जाने वाली देवी हैं और ये देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और आकर्षक होता है। माता के मस्तक पर अर्धचंद्र विद्यमान होता है, जिससे इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। उनके तीन नेत्र क्रोध, करुणा और ज्ञान के प्रतीक हैं, और उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं। माता का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।
पूजा का समय
मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि में विशेष मुहूर्त देखकर की जानी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, दिन में राहु काल के समय पूजा करना फलदायी नहीं होता। आज नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त और राहु काल का समय जान लें:
- अभिजीत मुहूर्त: 11:46 ए.एम. से 12:33 पी.एम.
- अमृत काल: 11:41 ए.एम. से 01:29 पी.एम.
- सूर्यास्त का समय: 06:02 पी.एम. (शाम की पूजा इस समय के बाद की जा सकती है)
पूजा के नियम
मां चंद्रघंटा की पूजा सुबह के समय करना सबसे शुभ माना जाता है। पूजा के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें और पूजा सामग्री को व्यवस्थित करें। मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और निम्नलिखित मंत्र का जाप करें: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः”।
माता के चरणों में फूल, अक्षत, रोली और चंदन अर्पित करें। घी का दीपक जलाकर माता को अर्घ्य दें और भोग लगाएं। अंत में मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा के दौरान मन को शांत रखना और माता पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। नियमित रूप से उनकी पूजा करने से मन की शांति और सकारात्मकता में वृद्धि होती है।
पूजा का महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष रूप से की जाती है। इस दिन माता को दूध, खीर और शहद का भोग अर्पित किया जाता है। उनका मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः” है। मां चंद्रघंटा शत्रुओं का नाश करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। इनकी पूजा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है, साहस और वीरता का संचार होता है, और घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।