भ्रष्टाचार के धुएं में घिरा मुख्यमंत्री कार्यालय: राजेंद्र राणा
सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कार्यालय पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के खुलेआम आरोपों ने सरकार की साख पर बट्टा लगा दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय अब एक ऐसे कुएं में बदल गया है, जहां से उठ रहे भ्रष्टाचार के धुएं ने उसकी दीवारों को काला कर दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में ऐसी घटनाएं पहले कभी नहीं देखी गईं।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने खनन माफिया से जुड़े आरोपों का जिक्र करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका बेनकाब हो रही है। खनन माफिया से सांठ गांठ और लेनदेन के चर्चे केवल हिमाचल तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इससे प्रदेश की छवि पूरे देश में धूमिल हो रही है।
कर्मचारियों और ठेकेदारों का बुरा हाल
राणा ने आरोप लगाया कि राज्य में ठेकेदारों को उनके काम की पेमेंट नहीं हो रही है और कर्मचारियों को एरियर का भुगतान तक नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बैंकों से कर्ज उठाकर ठेकेदारों ने विकास के काम पूरे किए थे लेकिन उनका भुगतान रुका पड़ा है जिससे ठेकेदारों के परिवार की आर्थिक हालत खस्ता हो रही है। यही स्थिति कर्मचारियों के साथ भी है। उन्होंने कहा, “जब केंद्र सरकार आठवें वेतन आयोग की घोषणा कर चुकी है, तब हिमाचल में सातवें वेतन आयोग का भी पैसा कर्मचारियों को नहीं मिला है। यह सरकार की नाकामी का स्पष्ट प्रमाण है।”
35,000 करोड़ का कर्ज और खाली खजाने की दुहाई
राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में सुक्खू सरकार 35,000 करोड़ रुपए का कर्ज उठा चुकी है, लेकिन वह पैसा कहां खर्च हुआ, इसका कोई हिसाब नहीं है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री रोज खजाना खाली होने का रोना रोते हैं, लेकिन जनता जानना चाहती है कि केंद्र की मदद और इतने भारी कर्ज का इस्तेमाल कहां किया गया।”
उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रदेश का खजाना अपने करीबी मित्रों पर लुटा दिया है। “प्रदेश को आर्थिक आपातकाल की ओर धकेल दिया गया है,” उन्होंने कहा।
प्रदेश की जनता को जवाब चाहिए
राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जनता अब इस सरकार पर से भरोसा खो चुकी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने कार्यकाल में हुए वित्तीय दुरुपयोग और भ्रष्टाचार पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।