प्रदेश में शहरी जल निकासी प्रणालियों को मजबूत करने और पहाड़ी अस्थिरता को रोकने के लिए उचित जल प्रबंधन की आवश्यकता है। राज्य सरकार जल निकासी प्रणालियों को मजबूत करने और निर्माण के लिए ठोस संरचनात्मक डिजाइन सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक योजना विकसित की जाएगी। यह बात मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार देर शाम भूस्खलन प्रभावित शिमला के लालपानी क्षेत्र का दौरा करने के पश्चात कही। उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्र में नुकसान का जायजा लिया और जिला प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये।
मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की समय पर प्रतिक्रिया से नुकसान काफी कम हो गया है क्योंकि इन घरों में रहने वाले लोगों को आसन्न खतरे के कारण पहले ही खाली करा लिया गया था।
उन्होंने कहा कि इन उपायों के अलावा राज्य सरकार एक व्यापक, दीर्घकालिक आपदा योजना तैयार कर रही है। इसके कार्यान्वयन के लिए लगभग 800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा, जिसका उद्देश्य भविष्य की आपदाओं के प्रभाव को कम करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश के कारण सोमवार को 60 से अधिक लोगों की जान चली गई और यह संख्या बढ़ने की संभावना है। इसका प्रभाव शिमला में सबसे गंभीर रहा, जबकि कांगड़ा जिला के फतेहपुर में किसानों को फसल का नुकसान हुआ। पौंग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण लगभग 300 लोगों के फंस जाने के बाद बचाव अभियान चलाया गया और सभी व्यक्तियों को सफलतापूर्वक बचा लिया गया। उन्होंने कहा कि लगातार भारी बारिश के कारण मंडी जिले में भी काफी नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री ने आपदा के समय में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर द्वारा केवल राजनीति करने पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार राहत और बचाव कार्यों पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने विपक्ष द्वारा इस संकट की स्थिति में विधानसभा के विशेष सत्र की मांग की उपयुक्तता पर सवाल उठाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार दस दिवसीय विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पुलिस कर्मियों की आपदा प्रतिक्रिया प्रयासों के लिए उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने अपने सुरक्षा कवर को भी कम किया है। उन्होंने विपक्ष से राजनीतिक दिखावे में उलझने के बजाय मौजूदा स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए प्रदेश हित को प्राथमिकता देने को कहा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, ओएसडी रितेश कपरेट, नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, उपायुक्त आदित्य नेगी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
जल निकासी प्रणाली की मजबूती के लिए व्यापक योजना विकसित की जाएगी: मुख्यमंत्री।
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