बिलासपुर घुमारवीं _03 अक्टूबर 2023, अंग्रेजों की हकूमत के वक़्त देश में 2 ऐसी जेल थीं, जिनका नाम सुनकर कैदियों की रूह कांप जाती थी।
एक जेल को हम “अंडेमान निकोबार जेल” के नाम से जानते हैं, जबकि दूसरी “डगशाई जेल” थी, जो हिमाचल के सोलन जिले में स्थित है। इस जेल से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे दोनों का संबंध रहा है। हालांकि अब यह जेल म्यूजियम बन चुकी है।
इस जेल को काला पानी कहा जाता था, क्योंकि इसमें कैदियों को सलाखों से दाग कर नंबर लिखे जाते थे।
हर साल बापू की पुण्यतिथि और जयंती पर सैलानी इस म्यूजियम को देखने आते हैं।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने पटियाला के राजा से डगशाई व आसपास के 5 गांवों को खरीदा था। सबसे पहले यहां पर अंग्रेजी सैनिकों की छावनी बनाई थी।
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने बड़ी संख्या में आयरिश सैनिकों को बंदी बनाया था
। इनमें से कइयों को हिमाचल लाकर डगशाई जेल में बंद करके कठोर यातनाएं दी गईं। आयरिश सैनिकों ने जेल की प्रताड़ना सहते हुए यहां अनशन भी किया था। यह बात जब जेल से बाहर निकली तो 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी उन्हीं सैनिकों से मिलने डगशाई आए थे। इस दौरान वह 2 दिन तक इस जेल में रुके थे। आयरिश नेता इयामन डे वेलेरा के दोस्त और प्रशंसक भी थे। यही कारण था कि हिंदुस्तान की जेल में बंद होकर भी अपनी आजादी की जंग लड़ रहे आयरिश सैनिकों से मिलने बापू डगशाई पहुंचे थे।
उस समय बापू को जिस कोठरी में ठहराया गया था, उसके बाहर महात्मा गांधी की तस्वीर लगी हुई।
साथ ही उसमें एक कुर्सी और मेज के अलावा दीवार पर बापू की चरखे वाली बड़ी तस्वीर टंगी है।
महात्मा गांधी की हत्या करने बाद जब गोडसे पर केस चला तो इसकी सुनवाई शिमला स्थित मिंटो कोर्ट में हुई।
इसी दौरान जब गोडसे को ट्रायल के लिए शिमला लाया गया था तो उसे डगशाई में रखा गया। नाथूराम गोडसे को 8 नवंबर, 1949 को फांसी की सजा सुनाई गई थी।इस जेल के मेन गेट के साथ वाली सेल में उसे बंद किया गया था. यहां दीवार पर गोडसे की फोटो लटकी है। बताया जाता है कि नाथूराम गोडसे डगशाई जेल का अंतिम कैदी था। उसके बाद सरकार ने यहां कैदियों को रखना करना छोड़ दिया।डगशाई की इस जेल को हिमाचल का काला पानी कहा जाता था, क्योंकि यहां बंद कैदियों को कठोर यातनाएं दी जाती थीं। उन्हें तड़पाया जाता था. कइयों को इसी जेल में फांसी पर भी लटकाया गया. दरअसल इस जेल का नाम ही दाग-ए-शाही था, जो बाद में डगशाई पड़ गया यहां बंदियों के माथे और शरीर के दूसरे भागों पर लोहे की गर्म सलाखों व सांचों से दाग दिया जाता था।
यह जेल दूर से T शेप में नजर आती है। इस जेल में कुल 54 कोठरियां थी, जिसमें से 16 को एकांत कैद कक्ष कहा जाता है। इन कोठरियों में हवा व रोशनी का कोई प्रबंध नही होता था।अंग्रेजी शासन काल में 1849 में यहां सेंट्रल जेल का निर्माण किया गया था।