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शिमला में आयोजित अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में अंजलि ठाकुर को स्मृति चिन्ह, शॉल, टोपी और नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

शिमला में आयोजित अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में अंजलि ठाकुर को स्मृति चिन्ह, शॉल, टोपी और नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

शिमला, 6 दिसंबर 2024: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की अंजलि ठाकुर सपुत्री श्री ढमेश्वर दत्त ठाकुर, गाँव जन्यनी, डाक घर मोवीसेरी, तहसील गोहर की निवासी ने अपने अद्वितीय संघर्ष और खेल कौशल से राज्य और देश का नाम रोशन किया है। 5 दिसंबर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में आयोजित अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में अंजलि ठाकुर को स्मृति चिन्ह, शॉल, टोपी और नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

लगभग 18 वर्ष की आयु में एक कार दुर्घटना के कारण अंजलि ठाकुर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी का सामना करना पड़ा, जिससे गर्दन के नीचे का हिस्सा पूरी तरह काम करना बंद कर गया। चार वर्षों तक चले इलाज के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। 2022 में चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब में पुनर्वास के दौरान अंजलि ने बोशिया खेल के बारे में जानकारी प्राप्त की।
खेल क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियाँ
2023 में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेते हुए अंजलि ने इंडिविजुअल कैटेगरी में गोल्ड और पेयर्स में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने फोर्थ एशियन गेम्स, चीन और दिसंबर 2023 में हांगकांग में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
2024 में उन्होंने खेल क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। जुलाई 2024 में आयोजित वर्ल्ड बोशिया चैलेंजर्स इजिप्ट में भारत का पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। इसके अतिरिक्त, नवंबर 2024 में उन्होंने वर्ल्ड बोशिया चैलेंजर्स में पुनः भारत का प्रतिनिधित्व किया। राष्ट्रीय स्तर पर अंजलि ने आठवीं राष्ट्रीय बोशिया चैंपियनशिप में इंडिविजुअल और पेयर्स दोनों श्रेणियों में गोल्ड मेडल जीते।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंजलि ठाकुर वर्तमान में 26वीं रैंकिंग की खिलाड़ी हैं और राष्ट्रीय स्तर पर नंबर 1 की खिलाड़ी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
आज के सम्मान समारोह में अंजलि ने अपनी सफलता का श्रेय बोशिया स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब, रैंप ऑपरेटर प्रियंका ठाकुर, मित्रों और ग्रामीणों को दिया। अंजलि ठाकुर का संघर्ष और सफलता सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने यह साबित किया है कि किसी भी बाधा को दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से पार किया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश और पूरे देश को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।
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