बद्दी हिमाचल , राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने बद्दी के दवा उद्योग पर कड़ी कार्रवाई, मादक और मनोविकार रोधी दवाओं का उत्पादन बंद
राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने बद्दी के एक दवा उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। इस उद्योग पर मादक और मनोविकार रोधी दवाओं की अवैध बिक्री में शामिल होने का आरोप है। इस उद्योग को तत्काल प्रभाव से दवा उत्पादन बंद करने के निर्देश दिए गए हैं, और सीआईडी भी इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।
मामले की जानकारी:
सीआईडी की जांच: सीआईडी ने यह पाया कि बद्दी स्थित इस दवा उद्योग के पास दवाओं का निर्माण करने का लाइसेंस तो था, लेकिन इसकी मात्रा बहुत अधिक थी, और इन दवाओं की बिक्री कई राज्यों में अवैध रूप से की जा रही थी। इसके बाद सीआईडी ने इस दवा उद्योग के खिलाफ केस दर्ज किया और जांच शुरू की।
निर्माण बंदी का आदेश: सहायक औषधि लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने इस दवा उद्योग को औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 और मादक पदार्थ और मनोविकार रोधी पदार्थ अधिनियम के तहत, उन उत्पादों का निर्माण बंद करने का आदेश दिया, जिनमें दोहरी उपस्थिति वाले सक्रिय दवा अवयव (जैसे ट्रामाडोल, नाइट्राजेपाम, और अल्प्राजोलम) का इस्तेमाल किया जा रहा था।
निर्माण और बिक्री पर रोक: इस इकाई द्वारा 3 से 5 उत्पादों का निर्माण किया जा रहा था, जिसमें मुख्य रूप से ट्रामाडोल टैबलेट शामिल थी। अधिकारियों ने इस दवा उद्योग को आदेश दिया कि जांच पूरी होने तक वे अपने निर्मित स्टॉक की बिक्री न करें।
जांच और आरोप:
व्यापारी नेटवर्क: सीआईडी की जांच में यह पाया गया कि एक व्यापारी ने ऊना स्थित दवा इकाई से ट्रामाडोल की बड़ी मात्रा अन्य राज्यों में भेजी थी। इसके अलावा, इस नेटवर्क के और पहलुओं की भी जांच की जा रही है।
विक्री के आरोप: सीआईडी के मादक द्रव्य निरोधक कार्यबल ने इस दवा उद्योग के खिलाफ अक्टूबर में प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच में यह सामने आया कि ट्रामाडोल जैसी मनोविकार रोधी दवाओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया गया था और इन दवाओं की बिक्री उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, और बिहार जैसे राज्यों में की गई थी।
कर चोरी का आरोप: जांच में यह भी पाया गया कि इस दवा उद्योग ने दवाओं की कीमत कम रखी थी, जिससे कर चोरी की आशंका जताई जा रही है।
प्राधिकरण का कदम:
राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने पुष्टि करते हुए कहा कि सीआईडी से सूचना मिलने के बाद इस दवा फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जब फर्म का जवाब असंतोषजनक पाया गया, तो उद्योग को उत्पादन और बिक्री बंद करने का आदेश दिया गया।