EMI नहीं भरने वालों को के लिए आई बड़ी खबर , फाइनेंस कंपनियों को मिले सख्त आदेश।
कार या दो व्हीलर लोन पर लेना बहुत आसान हो गया है। बैंकों और एनबीएफसी द्वारा आकर्षक फाइनेंस स्कीम दी जाती हैं, जिससे लोग आसानी से वाहन खरीद सकते हैं। हालांकि, इस सुविधा के साथ एक समस्या भी जुड़ी होती है—कभी-कभी आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोग लोन की EMI समय पर नहीं चुका पाते, और इसके बाद उन्हें विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसी स्थिति में, बैंकों और फाइनेंस कंपनियां ग्राहकों से लोन की वसूली के लिए अक्सर रिकवरी एजेंटों का सहारा लेती हैं, जो कभी-कभी वाहनों को जब्त करने तक की कार्रवाई करते हैं। लेकिन अब, पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो लोन चुकाने में असमर्थ ग्राहकों के लिए राहत का कारण बन सकता है।
हाईकोर्ट का निर्णय: हाईकोर्ट ने बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि वे रिकवरी एजेंटों को ग्राहकों के वाहनों को जब्त करने का अधिकार नहीं दे सकते। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद ने अपने फैसले में कहा कि रिकवरी एजेंटों का वाहन जब्त करना गैरकानूनी है और यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को अपने ग्राहक से वाहन को जब्त करने के बजाय उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके अलावा, न्यायालय ने दोषी बैंकों पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
कानूनी दृष्टिकोण: पटना हाईकोर्ट के अनुसार, बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को वाहन जब्त करने का अधिकार नहीं है। वे केवल उन ग्राहकों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं जिन्होंने EMI का भुगतान नहीं किया है। इसके साथ ही, बैंक और फाइनेंस कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपनी रिकवरी प्रक्रिया में नियमों और कानूनों का पालन करें।
इस फैसले से लोन पर खरीदी गई गाड़ियों के मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी, खासकर उन लोगों को जो किसी कारणवश अपनी EMI नहीं चुका पा रहे थे और जिनके वाहनों को जब्त किया जा रहा था। अब, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास सिर्फ कानूनी तरीके से ही वसूली का अधिकार होगा।
यह निर्णय ग्राहकों के लिए एक सकारात्मक कदम है, जो आर्थिक संकट के बावजूद अपनी गाड़ी खोने से बच सकेंगे।