बिलासपुर: आस्था का प्रतीक माना गया है भगवान हनुमान का जाखू मंदिर शिमला,जाखू मंदिर में हनुमान जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई।

बिलासपुर घुमारवीं:16 अप्रैल 2022 हनुमान जन्‍मोत्‍सव पर मंदिरों में सुबह से बजरंग बली की जय जयकार हो रही है। राजधानी शिमला स्थित हनुमान मंदिर जाखू में हनुमान जन्मोत्सव पर सुबह चार बजे मंदिर के कपाट खुल गए। सुबह से ही श्रद्धालु का तांता लगा हुआ है।

देशभर के मुख्‍य धार्मिक स्‍थलों में से एक जाखू मंदिर में
भगवान हनुमान का जाखू मंदिर देशभर के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। मान्यता है कि रामायण काल में भगवान हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तब उन्होंने जाखू पहाड़ी पर विश्राम किया था। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं छोड़कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे।

भगवान हनुमान के पांव के निशान पर बना है मंदिर
इस मंदिर को भगवान हनुमान के पैरों के निशान पर बनाया गया है। मंदिर में अब तो इनकी 108 फीट ऊंची मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। देश या विदेश से आने वाले सैलानी इस मूर्ति को शिमला आने से पहले ही देख सकते हैं। राजधानी को आने वाले हर रास्ते से पांच से छह किलोमीटर पहले से ही ये दिखने लगती हैै। शिमला से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है।

जाखू मंदिर बहुत मशहूर है। ये मंदिर इस वजह से भी ज्यादा खास है क्योंकि इसका कनेक्शन त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है।

जाखू मंदिर बहुत मशहूर है। ये मंदिर हनुमान जी का है। ये मंदिर इस वजह से भी ज्यादा खास है क्योंकि इसका कनेक्शन त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है।
इस मंदिर को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। जाखू मंदिर जाखू पहाड़ी पर स्थित है। इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर पड़ा।

लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाते वक्त हनुमान जी ने यहीं पर किया था विश्राम

मान्यता है कि जब लक्ष्मण राम-रावण युद्ध के दौरान मूर्छित हो गए थे तब हनुमान जी ही उनके प्राणों की रक्षा के लिए संजीवनी बूटी लाए थे। इस संजीवनी बूटी को लाने के लिए वो हिमालय की ओर आकाश से जा रहे थे। तभी हनुमान की नजर यक्ष ऋषि पर पड़ी। यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी के बारी में जानकारी ली और विश्राम किया। इसके बाद उन्होंने यक्ष ऋषि को वचन दिया था कि वो लौटते वक्त उनसे जरूर मिलेंगे। रास्ते में हनुमान जी को कालनेमि नामक राशक्ष का सामना करना पड़ा।

इस राक्षस को मात देने के बाद समय के अभाव के चलते हनुमान अयोध्या की ओर छोटे मार्ग से चले गए। हनुमान जब यक्ष ऋषि से मिलने नहीं पहुंते तो वो व्याकुल हो गए। ऋषि को इतना व्याकुल देख हनुमान ने उन्हें दर्शन दिए। जिसके बाद यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया।