बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आज चिड़नुया त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा।

बिलासपुर घुमारवीं: 16 जुलाई 2022 आज यानि सावन माह की सक्रांति है आज के दिन को हिमाचल के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।  जिला बिलासपुर,मंडी, हमीरपुर, कांगड़ा , चंबा, ऊना आदि मैदानी इलाकों में इसे “चिढ़नूआं दी संग्रांद” के नाम से जाना जाता है। लाहौल में इसे “शेगत्सम” ,किन्नौर तथा  शिमला के जुब्बल में “दखरैण” कहा जाता है। यह त्यौहार सावन महीने की पहली प्रविष्टि यानि सक्रांति को मनाया जाता है।
 इस‌ त्यौहार का महत्व घरेलु पालतू पशुओं की रक्षा के साथ  जुड़ा है । इस दिन बचपन में गाँव की बहुत सी बुजुर्ग महिलाओं को लोक गीत गाते हुए सुना है जो कि अब धुंधली सी याद बनकर रह गई है ।
आज के दिन पालतू पशुओं के शरीर पर चिपके चीढ़नू इकट्ठे किये जाते हैं और शाम को उनको जलाया जाता है पुरातन मान्यनाओं  के अनुसार ऐसा करने से पशुओं को साल भर कोई भी परजीवी परेशान नहीं करता ।
पुराने समय में इस दिन एक दूसरे के पशुओं को बाँधने के स्थान पर ( खूंटे ) खीर पतरोड़ू भटूरू बनाकर चढ़ाने, ध्याणों को मायके बुलाने तथा आस पड़ोस में सभी व्यंजन बांटकर खाने  की परम्परा रही है। इस दिन कई गीत गाए जाते थे  कई और मान्यताएं भी आज के त्योहार के साथ जुड़ी हुई हैं जो समय के प्रभाव के कारण विस्मृत,विलुप्त होती जा रही हैं।