BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी राष्ट्रीय टीम में किया फेरबदल,जानिये आखिर क्यों ?

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के लिए अपनी नई टीम का ऐलान कर दिया है. इसमें चुनावी राज्यों के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. बीजेपी की इस नई टीम में जहां अधिकांश पुराने चेहरों को बरकरार रखा गया है, तो वहीं कुछ नए चेहरों को भी जगह मिली है. बीजेपी की इस नई टीम में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के नेताओं को देखना खासा दिलचस्प है. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें और यहां से 6 बीजेपी नेताओं को संगठन में जगह मिली है.

चुनावी राज्यों पर है फोकस

गौरतलब है कि, राजस्थान के तीन नेताओं को नड्डा की नई टीम में जगह मिली है. इनमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, सुनील बंसल और डॉक्टर अलका गुर्जर का नाम शामिल है. यूपी को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा विधान परिषद के सदस्य और पार्टी के मुस्लिम चेहरे तारिक मंसूर की है. खास बात ये है कि चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ से 2 महिला नोताओं को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन को फिर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर रिपीट किया गया है. तो चलिए इस रिपोर्ट में आपको बताते हैं कि बीजेपी इस नई टीम से क्या कुछ साधने की कवायद में जुटी है.

प्रोफेसर तारिक मंसूर का नाम है अहम

प्रोफेसर तारिक मंसूर उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधान परिषद सदस्य हैं. एमएलसी बनने से पहले वो 6 साल तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU)के वाइस चांसलर रहे थे. मंसूर मुस्लिमों में कुरैशी बिरादरी से आते हैं और कुरैशी को मुस्लिम समुदाय में पसमांदा कहा जाता है. बीजेपी इस पसमांदा समुदाय तक पहुंच बनाने की कोशिशों में जुटी है. हाल ही में पीएम मोदी ने भोपाल में अपने एक संबोधन में कहा था कि अगर हम मुसलमान भाई-बहनों की तरफ देखते हैं, पसमांदा मुसलमानों का वोटबैंक की राजनीति करने वालों ने जीना मुश्किल करके रखा हुआ है उनको तबाह करके रखा है.

पसमांदा मुस्लिमों पर नजर

मुसलमानों में पसमांदा मुस्लिम सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से भी काफी पिछड़े हैं. देश में मुसलमानों की कुल आबादी में करीब 85 फीसदी पसमांदा हैं जबकि15 फीसदी उच्च जाति के मुसलमानों की आबादी है. दलित और बैकवर्ड मुस्लिम, पसमांदा वर्ग में आते हैं. बीजेपी अब प्रोफेसर तारिक मंसूर के जरिए पसमांदा मुस्लिमों के बीच अपनी जगह बनाना चाहती है.

बरकरार रखा गया वसुंधरा राजे का कद

बात राजस्थान की करें तो राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पहले से ही पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थीं, उनके पद को बरकरार रखा गया है. जबकि, अलका गुर्जर को राष्ट्रीय सचिव और सुनील बंसल को राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया है. डॉक्टर अलका को केंद्रीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देकर बीजेपी ने राजस्थान के गुर्जर समाज को साधने का काम किया है. इसी साल राजस्थान में चुनाव होने हैं और यहां गुर्जर समाज का बड़ा वोटबैंक है. राष्ट्रीय कार्यकारणी में वसुंधरा राजे का कद बरकरार रखने से ये साफ हो गया है कि पार्टी उन्हें साथ लेकर चलना चाहती थी.

कैलाश विजयवर्गीय पर बीजेपी ने दिखाया भरोसा

पश्चिम बंगाल में मिली शिकस्त के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की राष्ट्रीय संगठन से विदाई हो सकती है. बंगाल में मिली हार के बाद विजयवर्गीय ने खुद को मध्य प्रदेश तक ही सीमित कर लिया था. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में पार्टी ने उन्हें महासचिव की जिम्मेदारी पर बरकरार रखा है. विजयवर्गीय चुनावी रणनीतिके माहिर माने जाते हैं साथ ही प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है.

एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को मिली जगह

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को भी बीजेपी की नई टीम में जगह मिली है. अनिल ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर जनवरी में ही कांग्रेस से दूरी बना ली थी. इसके बाद उन्होंने पार्टी में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. एके एंटनी ईसाई समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. केरल में ईसाई समुदाय कांग्रेस का भरोसेमंद वोटर रहा है. केरल में पैर पसारने में जुटी बीजेपी के लिए अनिल एंटनी अहम साबित हो सकते हैं.

इन चेहरों को नहीं मिली जगह

राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से दो-दो नेताओं की छुट्टी कर दी गई है. कर्नाटक में अपना ही चुनाव हारने वाली सीटी रवि की महासचिव पद से छुट्टी कर दी गई है. वहीं, असम के बीजेपी सांसद दिलीप सैकिया भी महासचिव पद से हटाए गए हैं. इसके साथ ही राष्ट्रीय सचिव पद से हरीश द्विवेदी हटाए गए हैं. उपाध्यक्ष रहे दिलीप घोष और भारतीबेन शायल को नई टीम में शामिल नहीं किया गया है.