जातीय जनगणना पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, सपा ने बताया विपक्ष की जीत
लखनऊ, 30 अप्रैल — देशभर में जातीय जनगणना को लेकर लंबे समय से चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान करते हुए अगली जनगणना के साथ जातीय आंकड़ों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार के इस फैसले को जहां राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना जा रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी इसे अपनी विचारधारा और पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) अभियान की जीत के तौर पर पेश कर रही है।
अखिलेश यादव ने जताया दबाव की जीत का भरोसा
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया था कि वह सिर्फ सवर्ण और खासकर ठाकुर समाज के लोगों को तरजीह देती है। हाल ही में उन्होंने यूपी में थानों में एसएचओ और एसओ की जातिगत नियुक्तियों का डेटा जारी कर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा कि यह फैसला इस बात का प्रमाण है कि विपक्ष के दबाव में आकर ही केंद्र सरकार को झुकना पड़ा है। सपा अब इसे जनता के बीच ले जाकर बताएगी कि “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” का नारा ही सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम है।
‘सिंह भाई’ टिप्पणी से फिर गरमाई राजनीति
अखिलेश यादव ने हाल ही में सूचना निदेशक पद पर ‘सिंह’ सरनेम वाले अधिकारियों की अदला-बदली पर भी सरकार को निशाने पर लिया था। उन्होंने कहा, “एक सिंह भाई गए, तो दूसरे आ गए,” जो सरकार के जातिगत झुकाव को दर्शाता है। यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रही और जातीय समीकरणों पर राजनीति को और तेज कर गई।
भाजपा ने छीना ‘जातीय कार्ड’, कांग्रेस और सपा का एजेंडा प्रभावित
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना की घोषणा करने से सपा और कांग्रेस जैसे दलों के लिए यह मुद्दा अब अकेले का नहीं रह गया है। राहुल गांधी पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर जातीय जनगणना कराई जाएगी, और कर्नाटक में ऐसा हो भी चुका है। लेकिन भाजपा के इस कदम के बाद विपक्ष की ‘सामाजिक न्याय’ वाली राजनीति की धार कुछ हद तक कुंद हो सकती है।
आरक्षण और नौकरियों में हिस्सेदारी का उठेगा मुद्दा
अखिलेश यादव ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि आरक्षण खत्म किया जा रहा है और आउटसोर्सिंग और कॉन्ट्रैक्ट बेस नौकरियों में पिछड़े वर्गों को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में एनएफएस (Not Found Suitable) जैसे शब्दों को लेकर भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे। अब जातीय जनगणना के साथ ही यह आशंका है कि सपा इस मुद्दे को आरक्षण की बहाली और विस्तार से जोड़ेगी।