न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने से केंद्र का इंकार…किसानों के साथ धोखा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने से संसद में एनडीए सरकार और कृषि मंत्री के मुकर जाने से किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। सरकार के इस बयान ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वह किसान विरोधी है। सरकार का मकसद केवल और केवल किसान आंदोलन को तोड़ना था। कृषि कानूनों को वापिस लेते हुए किसानों से वायदा किया था कि जल्दी ही कमेटी बना कर एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जाएगा।
किसानों को संबोधित करते हुए डाॅ. कुलदीप तंवर

किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा है कि केंद्र सरकार के इस बयान से किसानों में भारी रोष और निराशा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में सेब उत्पादक जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर मंडी हस्तक्षेप योजना (मार्केट इंटरवेंशन स्कीम) के तहत सेब का सरकारी मूल्य देने की मांग कर रही है।

वहीं किसान 2014 के आम चुनाव से पहले मोदी जी द्वारा हिमाचल के किसानों से किए गए वादे को लागू करने की आस लगाए बैठे हैं। जिसने उन्होंने प्रदेश के स्थानीय उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए कहा था। लेकिन इस बयान के बाद प्रदेश के किसानों को प्रदेश और केंद्र सरकार से कोई उम्मीद बाकी नहीं रह जाती।

उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों में लगने वाले इनपुट की कीमतें इतनी अधिक हो चुकी हैं कि लाभ तो दूर की बात किसान-बागवान को लागत भी वापिस नहीं मिल पा रही।

डॉ. तंवर ने कहा कि अगर सरकार का यही रवैया रहा तो किसानों को केंद्र सरकार के इस धोखे और झूठ के खिलाफ एक बार फिर से एक व्यापक आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों की कुर्बानी को जाया नहीं जाने दिया जाएगा।