अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) प्रबोध सक्सेना ने की समिति की बैठक की अध्यक्षता
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशानुसार हिमाचल प्रदेश के पारिस्थितिक संवदेनशील क्षेत्रों (ईको-सेंसिटिव जोन) की कैरिंग कैपेसिटी असैसमेंट यानि वहन क्षमता के आकलन के लिए राज्य स्तरीय संयुक्त समिति का गठन किया गया है। इसमें पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, वन, शहरी विकास, नगर एवं ग्राम योजना, लोक निर्माण, ग्रामीण विकास, परिवहन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य संबंधित विभागों के अलावा हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड, एचएफआरआई शिमला, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर नई दिल्ली, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर, जीबी पंत संस्थान कुल्लू, वाडिया हिमालयन भू-गर्भ संस्थान देहरादून और अन्य संस्थानों के अधिकारी भी शामिल किए गए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) प्रबोध सक्सेना ने आज यहां इस समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के पारिस्थितिकीय रूप से संवदेनशील क्षेत्रों की वहन क्षमता के आकलन के संबंध में विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान प्रबोध सक्सेना ने वन विभाग के अधिकारियों को प्रदेश के अधिसूचित पारिस्थितिक संवदेनशील क्षेत्रों की सूची और इनके संबंध में अन्य आवश्यक जानकारियां अतिशीघ्र उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इन क्षेत्रों की वहन क्षमता के आकलन में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों के अलावा आर्थिक, सामाजिक, ईको टूरिज्म, जनजातीय, वन्य जीवन, आपदा प्रबंधन और अन्य पहलुओं को भी शामिल करके एक समग्र एवं विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि प्रथम चरण में पायलट आधार पर प्रदेश के 4-5 क्षेत्रों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके लिए स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर नई दिल्ली, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर, जीबी पंत संस्थान कुल्लू, वाडिया हिमालयन भू-गर्भ संस्थान देहरादून और अन्य संस्थानों की मदद ली जाएगी। इस संबंध में त्वरित कदम उठाने के लिए बैठक में एक उप समिति के गठन का निर्णय भी लिया गया।
इस अवसर पर पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक ललित जैन ने पारिस्थितिक संवदेनशील क्षेत्रों की वहन क्षमता के आकलन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कई विभागोें और संस्थानों ने अपने-अपने स्तर पर भी प्रदेश के कुछ पारिस्थितिक संवदेनशील क्षेत्रों के बारे में अध्ययन किए हैं और इनसे संबंधित रिपोर्ट तैयार की हैं। इनके आंकड़े भी वहन क्षमता आकलन रिपोर्ट में समाहित किए जा सकते हैं। इसलिए सभी संबंधित विभाग और संस्थान ये रिपोर्ट्स एवं सुझाव उप समिति के साथ साझा करें।
बैठक में अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर नई दिल्ली, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर, जीबी पंत संस्थान कुल्लू और वाडिया हिमालयन भू-गर्भ संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने भी वर्चुअल माध्यम से भाग लेकर अपने सुझाव रखे।