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दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर: सांस लेना भी हो रहा है मुश्किल, सिगरेट के बराबर है हवा का स्तर

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर: सांस लेना भी हो रहा है मुश्किल, सिगरेट के बराबर है हवा का स्तर

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद चिंताजनक हो गया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि दिल्ली में सांस लेना अब 49 सिगरेट पीने के बराबर हो गया है। प्रदूषण का मुख्य कारण पटाखों का धुआं और पराली जलाना बताया जा रहा है। जहरीली हवा के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, साथ ही आंखों में जलन भी हो रही है।

दिल्ली में AQI 978 तक पहुंचा दिल्ली में सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 978 तक पहुंच गया, जो कि खतरनाक स्तर पर है। यह आंकड़ा 49 सिगरेट पीने के बराबर है, जो यह बताता है कि दिल्ली में वातावरण कितनी खतरनाक स्थिति में है।

दिल्ली के बाद सबसे अधिक प्रदूषण हरियाणा में देखा जा रहा है, जहां AQI 631 तक है, जो कि एक दिन में 33 सिगरेट पीने के बराबर है। उत्तर प्रदेश में AQI 273 है, जबकि पंजाब में यह 233 के आसपास है।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल किया है कि जब पंजाब में पराली जलाना 80% तक कम हो सकता है, तो दूसरे राज्यों में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता? कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज 4 को लागू करने में देरी करने पर भी कड़ी फटकार लगाई है।

सबसे साफ हवा लद्दाख और अरुणाचल में भारत में सबसे साफ हवा लद्दाख में है, जहां AQI इतना अच्छा है कि यह एक दिन में 0 सिगरेट पीने के बराबर है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में भी हवा का स्तर साफ है और यहां का AQI 13 है, जो कि एक दिन में केवल 0.18 सिगरेट पीने के बराबर है।

पल्यूशन पर पॉलिटिक्स दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बढ़ते प्रदूषण के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि देशभर के विभिन्न राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इन राज्यों पर कोई नियंत्रण नहीं लगा पा रही है। जबकि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है और राज्य सरकार ने इस पर रोक लगाई है, लेकिन अन्य राज्यों में यह समस्या लगातार बनी हुई है।

दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चुनौती है, और यह समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे उत्तर भारत में इसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं।

क्या किया जा सकता है? प्रदूषण की इस स्थिति से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध, पटाखों पर पाबंदी, और कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियमों की आवश्यकता है। इसके अलावा, सभी राज्य सरकारों को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी होगी ताकि लोगों को सांस लेने के लिए साफ हवा मिल सके और उनकी सेहत पर बुरा असर न पड़े।

समाधान की दिशा में उठाए गए कदम:

  1. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को तुरंत लागू करना।
  2. पराली जलाने पर सख्त नियंत्रण।
  3. पटाखों की बिक्री और जलाने पर पाबंदी लगाना।
  4. ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना।

इस समय प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि यह संकट और गहरा न हो।

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