पंजाब के तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी निजी स्कूलों के लिए फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए मांग।

अभिभावक संघ शिमला हिमाचल प्रदेश की लोकप्रिय सरकार से निवेदन करता है कि हमारे प्रदेश में भी पंजाब में अभी हाल ही में निजी स्कूलों के लिए फीस नियंत्रण सम्बन्धित घोषित किये गए नीति के अनुरूप ही एक आदेश जारी करें। यद्यपि हमारे इस संघ के द्वारा बार-बार निवेदन करने के बावजूद भी प्रदेश की सरकार के द्वारा निजी स्कूल फीस नियामक बिल को ठण्डे बस्ते में रखे जाने और पिछले पाँच विधान सभा सत्र में पास नहीं किये जाने से प्रदेश की अभिभावक रूपी जनता के हाथों सत्र दर सत्र हमारे प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में गौर न किये जाने से अपेक्षाकृत जबावदेह, संवेदनशील व कल्याणकारी शासन व्यवस्था से इस मामले के लिए उदासीनता और निष्क्रियता से ठगी हुई महसूस कर रही है। अभिभावकों को पिछले कई सत्र से यह कानून पास होने की उम्मीद थी। परन्तु उनका यह इंतज़ार व आस बार -बार विधानसभा सत्र में नहीं लाये जाने के कारण निराशा और हताशा में बदल चूका है। जोकि आम जनता की दृष्टि में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में असंवेदनशीलता का परिचायक कहलाता है।

शिमला व प्रदेश में नया शिक्षा सत्र शुरू हुए महीना हो चूका है। ऐसे में अब अप्रैल माह से लिए जाने वाले फीस में अभिभावकों को निजी स्कूलों के द्वारा मनमाने ढंग फीस बढ़ाये जाने की चिंता सता रही है। पिछले साल भी सभी निजी स्कूलों ने प्रदेश सरकार के निर्देशों की धज्जियाँ उड़ाते हुए कोरोना काल के द्वितीय बर्ष में भी मनचाहे तरीके से फीस में वृद्धि की थी और पूरी की पूरी फीस की वसूली की थी। उस फीस वृद्धि में न तो शिक्षा विभाग के निर्देशों के अनुसार आम सभा बुलाई गयी थी और न ही सही तरीके से पी टी ऐ से पास कराया गया था। क्योंकि पिछले वर्ष बहुत सारे स्कूलों के पी टी ऐ का गठन भी कोरोना के कारण नहीं किया जा सका था। कुछेक स्कूलों में पी टी ऐ का कोरम भी पूरा नहीं था।

वैसे किसी भी लोकप्रिय व कल्याणकारी सरकार को प्रदेश या देश की जनता के हितों और भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए और यदि ऐसी कोई संवेदनशील सरकार जनता के भावनाओं का ख्याल रखती है तो उसका वो नेतृत्व उपलब्धि के तौर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के मतप्रणाली में श्रेय भी ले सकती है। बहुत सारे राज्य सरकारों ने जैसे कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली ने अपने राज्यों में पिछले वर्ष अभिभावकों को राहत देने के ठोस कदम उठाये थे । परन्तु हमारे प्रदेश की सरकार ने इस पर अभिभावकों के अनवरत निवेदन पर भी संवेदनशीलता का कोई परिचय नहीं दिया । आम जनता रूपी अभिभावक जानना चाहते हैं कि आखिर क्या वजह है कि प्रदेश की वर्तमान सरकार बार-बार इस विधेयक या कानून लाने या बनाने में देरी कर रही है ?

अतः अभिभावक संघ शिमला कार्यकारिणी के सदस्य क्रमशः आचार्य सी एल शर्मा-सचिव, डॉक्टर संजय-मुख्य संरक्षक, श्री हमिंदर धौटा- संयोजक , श्री कुलदीप सिंह सड्याल -कोषध्यक्ष, श्री पवन मेहता- मीडिया प्रभारी, जीतेन्द्र यादव-उपाध्यक्ष, श्रीमती कुसुम शर्मा ,श्रीमती रीता चौहान, श्रीमति प्रतिभा, श्री सुरेश वर्मा , श्री ज्ञान चन्द, श्री अम्बीर सिंह सहजेटा, श्रीमति प्रियंका तंवर, तारा चन्द थरमाणि-कुल्लू शाखा , श्रीमती हेमा राठौर, दिनेश, संजय , प्रदीप गाँधी , शालू नेगी , रमेश कुमार ठाकुर एवं कार्यकारिणी के अन्य सदस्य एक स्वर से प्रदेश सरकार विशेष तौर पर माननीय मुख्यमंत्री जी से व माननीय शिक्षा मंत्री जी से इस सम्बन्ध में हस्तक्षेप कर अभिभावकों को अभी आरम्भ हुए वर्तमान शिक्षा सत्र में फीस वृद्धि से अन्य प्रदेशों एवं पंजाब के तर्ज पर राहत देने का पुनः निवेदन करते हैं।