बिलासपुर घुमारवीं-30 सितंबर, शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है, मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है, ऐसे में हिमाचल प्रदेश के विश्वविख्यात शक्तिपीठों में शारदीय नवरात्रि के पावन मौके पर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर के दर्शन करवाएगा।
प्राचीन हवन कुंड मान्यताओं के अनुसार इस हवन कुंड में जितना मर्जी हवन किया जाए सारी राख भभूति इसी के अंदर समा जाती है।
हवन इसी कुंड में समाहित हो जाता है और अपने आप ही साफ हो जाता है। कहा जाता है कि किसी भी श्रद्धालु के इस हवन कुंड में माथा न टेकने पर उसकी यात्रा सफल नहीं मानी जाती है।
नैना देवी मंदिर में पवित्र ज्योत भी काफी अहम मान्यता है कि जिस समय महिषासुर राक्षस और श्री नैना देवी के बीच युद्ध होने पर मां ने उसे वरदान दिया कि मेरे हाथों मृत्यु होने के कारण तू एक क्षण के लिए भी मेरे चरणों से अलग नहीं होगा। जहां मेरा पूजन होगा वहां पर तुम भी पूजे जाओगे,तब से यहां माता जगदंबा भी विरामजान हैं।
श्री नैना देवी मंदिर में पवित्र ज्योत को भी काफी अहम माना जाता है। माना जाता है कि आंधी, तूफान, बारिश के दौरान अक्सर मंदिर में दिव्य ज्योतियां प्रज्वलित होती हैं, यह ज्योतियां पीपल के पत्तों, झंडों यहां तक की भक्तों की हथेलियों तक आ जाती हैं।
इस कलयुग में भी विश्वविख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर से कई कहानियां और चमत्कार जुड़े हुए हैं।