दिल्ली में जल्द लागू हो सकती है ईवी नीति 2.0, CNG ऑटोरिक्शा और फ्यूल-चालित बाइक्स पर लगेगा ब्रेक
नई दिल्ली | 12 अप्रैल 2025
दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। सरकार की नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 (EV Policy 2.0) के ड्राफ्ट के अनुसार, CNG ऑटोरिक्शा और पेट्रोल-डीजल चालित वाहनों को चरणबद्ध रूप से हटाने की योजना बनाई गई है। अगर सब कुछ तयशुदा योजना के अनुसार हुआ, तो यह नीति जल्द ही लागू की जा सकती है।
15 अगस्त 2025 से CNG ऑटो के रजिस्ट्रेशन पर लगेगा प्रतिबंध
ड्राफ्ट के मुताबिक, 15 अगस्त 2025 से दिल्ली में किसी भी नए CNG ऑटोरिक्शा का पंजीकरण नहीं किया जाएगा, और पुराने परमिट का नवीनीकरण भी अब संभव नहीं होगा। इसके बदले में केवल इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा (e-Auto) को ही परमिट दिया जाएगा।
इस कदम का उद्देश्य राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करना और ईवी को प्राथमिकता देना है।
10 साल पुराने ऑटो होंगे बंद या अपग्रेड
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि 10 साल से अधिक पुराने CNG ऑटोरिक्शा या तो पूरी तरह बंद किए जाएंगे या उनमें नई बैटरी तकनीक लगाकर उन्हें इलेक्ट्रिक में परिवर्तित किया जाएगा। यह व्यवस्था नगर निकायों और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को भी प्रभावित करेगी।
बाइक और स्कूटर पर भी नीति सख्त
दिल्ली सरकार की नीति का अगला निशाना फ्यूल से चलने वाली दोपहिया गाड़ियां हैं। 15 अगस्त 2026 से पेट्रोल, डीजल और CNG बाइक के रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे पहले ही लोगों को इलेक्ट्रिक विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
मालवाहक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए भी नियम सख्त
तीन पहिया मालवाहक वाहन जो CNG, डीजल या पेट्रोल से चलते हैं, उनका रजिस्ट्रेशन 15 अगस्त 2025 से बंद कर दिया जाएगा।
डीटीसी और डीआईएमटीएस जैसे संस्थानों को अब केवल इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की अनुमति होगी।
इंटर-स्टेट रूट के लिए BS-IV बसें खरीदी जा सकेंगी, लेकिन शहर में ऑपरेशन के लिए केवल ई-बसे ही चलेंगी।
प्राइवेट कार मालिकों के लिए नई शर्त
अगर आपके पास पहले से दो निजी वाहन हैं, तो आप ही नई इलेक्ट्रिक कार खरीदने के पात्र होंगे। यह सिफारिश EV नीति 2.0 के प्रभावी होने के बाद लागू की जाएगी।
निष्कर्ष: क्या है दिल्ली सरकार का लक्ष्य?
यह पूरी नीति दिल्ली को ग्रीन और क्लीन मोबिलिटी हब में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षों में राजधानी की सड़कों पर अधिकतर वाहन इलेक्ट्रिक हों। इससे न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि फ्यूल खर्च में भी गिरावट होगी।