डॉ राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर में फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम की शुरुआत।

हमीरपुर 14 सितम्बर । डॉ राधाकृष्णन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय हमीरपुर के प्राचार्य डॉ. सुमन यादव के मार्गदर्शन में सामुदायिक चिकित्सा विभागए डीआरकेजीएमसी हमीरपुर द्वारा फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम (एफएपी) शुरू किया गया। जहां जिला हमीरपुर के ब्लॉक गैलोर के गांव बगारती में बैच 2021 के एमबीबीएस छात्रों को परिवारों से मिलवाया गया। कार्यक्रम के बारे में छात्रों को विभागाध्यक्ष डॉ. अभिलाष सूद और सामुदायिक चिकित्सा विभाग के शिक्षक विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र कुमार द्वारा संक्षिप्त विवरण दिया गया । परिवारों के साथ बातचीत करने में छात्रों की मदद करने के लिए विभाग के स्वास्थ्य शिक्षकों और महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों की एक टीम भी छात्रों के साथ थी।
फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा अनिवार्य है, स्नातक पाठ्यक्रम के लिए नई योग्यता आधारित चिकित्सा शिक्षा का एक हिस्सा है। इसका उद्देश्य एमबीबीएस छात्रों को सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए सीखने का अवसर प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक एमबीबीएस छात्र को मेडिकल कॉलेज के निकटवर्ती ग्रामीण या शहरी स्लम क्षेत्रों में कुल 5 परिवार आवंटित किए जाएंगे। छात्र अपनी संपूर्ण अध्ययन अवधि के दौरान स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन करेंगे और परिवारों का अनुवर्तन करेंगे। वे समुदाय में स्वास्थ्य जागरूकता पैदा करेंगे और किसी भी स्वास्थ्य संबंधित समस्या के लिए संपर्क के पहले बिंदु के रूप में कार्य करेंगे। मेडिकल छात्रों की एक टीम एक संरक्षक शिक्षक के तहत इन गतिविधियों को करेगी। छात्र गांव में पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में भी भाग लेंगे। अपनी इंटर्नशिप के दौरान वे परिवारों को हाल ही में शामिल हुए एमबीबीएस छात्रों को सौंप देंगे।
स्थानीय आशा कार्यकर्ताओं और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की मदद से घरों की सूची पहले ही तैयार कर ली गई थी। दौरे के दौरान स्वास्थ्य टीम और छात्रों को जिला स्वास्थ्य प्रशासन, स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों का पूरा सहयोग और भागीदारी मिली। इस गतिविधि को लेकर विद्यार्थियों में काफी उत्साह देखा गया।
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प्रेस विज्ञप्ति : 49/2022 14 सितम्बर 2022
तनाव केवल शारीरिक और मानसिक क्रियाशीलता-किशोर इसे सकारात्मकता में बदलें
हमीरपुर 14 सितम्बर। किशोरावस्था मानव जीवन का सर्वाधिक ऊर्जावान, उत्पादक एवं प्रतिस्पर्धी कालखंड होता है। यह अत्यधिक ऊर्जा एवं प्रतिस्पर्धा किशोरों से अपने व्यवहार में कुशलता और धैर्य की भी अपेक्षा रखती है क्योंकि अपने आसपास के बदलते परिवेश से सामंजस्य स्थापित करते हुए हमारा शरीर तनाव के रूप में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। तनाव वास्तव में हमारी वह शारीरिक और मानसिक दशा है जो हमें किसी परिस्थिति विशेष का सामना करने के लिए क्रियाशील बनाती है। यह क्रियाशीलता यदि हमें समस्याओं का सकारात्मकता से सामना करने के लिए प्रेरित करती है, हमें रचनात्मक बनाती है या हमें कुशलताओं का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती है, तो यह जीवन में प्रगति के नए मार्ग प्रशस्त करने में सहायक होती है। उक्त विचार बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने राजकीय उच्च विद्यालय भटेरा और राजकीय उच्च विद्यालय चमियाना में किशोरियों के लिए आयोजित एक दिवसीय तनाव प्रबंधन कार्यशाला में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सकारात्मक तनाव हमें ऊर्जा से परिपूर्ण कर सामान्य स्थिति में असंभव दिखने वाले कार्य को संभव करने में मदद करता है क्योंकि तनाव की स्थिति में हमारी समझ- बूझ, कार्यक्षमता वह कार्य निष्पादन की गति बढ़ जाती है। नकारात्मकता की स्थिति में यह क्रियाशीलता शारीरिक और मानसिक स्थिति का ह्रास कर विकास को अवरुद्ध कर देती है। इस अवसर पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए मनोविज्ञानी शीतल वर्मा ने कहा कि तनाव प्रबंधन कार्यशालाओं का उद्देश्य तनाव की इस अति क्रियाशीलता को उचित प्रबंधन के द्वारा सकारात्मकता में बदल कर युवाओं की ऊर्जा का सदुपयोग करना है। समय प्रबंधन, कार्य प्राथमिकता, प्रभावी संचार, सकारात्मक सोच जैसे कौशलों का विकास कर किशोरों को उनकी ऊर्जा का सदुपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। उन्होंने योग, ध्यान, श्वास प्रबंधन, स्व-सम्मोहन जैसी तकनीकों के माध्यम से किशोरियों को तनाव मुक्ति के उपाय सिखाते हुए इन उपायों को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। उन्होंने किशोरियों को खेलकूद, संगीत एवं सामाजिक रुप से उत्पादक कार्यों में भी अपनी अभिरुचि बढ़ाने के लिए उन्हें प्रेरित किया। कार्यक्रम में लगभग 160 किशोर किशोरियों ने भाग लिया ।