किसानों के नाम पर मुफ्त राशन का फर्जीवाड़ा: आधार कार्ड से खुलासा, अपात्रों के राशन कार्ड होंगे निरस्त
किसान बनकर लाखों रुपये का धान-गेहूं बेचने वालों का नाम मुफ्त राशन लेने वालों की सूची में होने का मामला सामने आया है। आपूर्ति विभाग ने हर कोटेदार को 10 से 20 लाख रुपये से अधिक के धान बेचने वाले किसानों की सूची भेजी है। इनमें से कई के नाम गलत तरीके से सूची में शामिल हो गए थे, जिनका खुलासा आधार कार्ड के माध्यम से हुआ है। अब अपात्रों के राशन कार्ड को निरस्त किया जा रहा है।
फर्जीवाड़े का खुलासा
खरीद-बिक्री में बिचौलियों और राइस मिलरों की मिलीभगत से किसानों के आधार कार्ड का गलत उपयोग करके उन्हें सूची में शामिल किया गया। मानक के अनुसार, जिन किसानों की जमीन पांच एकड़ से अधिक है, जो आयकर अदा करते हैं, या पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें मुफ्त राशन का लाभ नहीं मिल सकता। आपूर्ति विभाग ने आयकर विभाग और खाद्य विभाग के आंकड़ों के आधार पर पाया कि लगभग 20 हजार लोग गलत तरीके से राशन का लाभ ले रहे हैं।
गलत जानकारी का खुलासा
कोटेदार कैलाश ने बताया कि आपूर्ति विभाग से उन्हें 190 लोगों की सूची मिली थी, जिन्होंने 150 से 200 कुंतल धान बेचा है और मुफ्त राशन ले रहे हैं। सत्यापन में पता चला कि इनमें से कई के पास एक या दो एकड़ से भी कम जमीन है। इसी तरह, बिछिया के संतोष कुमार का नाम भी धान बेचने वालों की सूची में था, जबकि उनके पास 20 डिसमिल भी जमीन नहीं है।
आयकर और पेंशनधारक भी सूची में
सूची में आयकर अदा करने वाले और पेंशनधारी भी शामिल हैं। कुछ लोग अनियोजित आय पर टीडीएस कटने के बावजूद आयकर रिटर्न नहीं भरते और रिफंड प्राप्त नहीं करते। इसके अलावा, कुछ महिलाएं विधवा पेंशन प्राप्त कर रही हैं, जबकि उनके पति राशन कार्ड में जीवित हैं।
आधार कार्ड से खुला फर्जीवाड़ा
आधार कार्ड, मोबाइल और बैंक खातों से लिंक होने के कारण बड़ी संख्या में फर्जी लाभ प्राप्त करने वालों का नाम उजागर हो रहा है। खासकर शहरी क्षेत्रों में अधिक फर्जी लाभ लेने वाले पाए गए हैं। विभाग का कहना है कि सूची में 80 फीसदी नाम ऐसे हैं जिनके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल करके धान या गेहूं बेचा गया है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जिला पूर्ति अधिकारी रामेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पात्रता की शर्तों के विपरीत मुफ्त राशन लेने वालों की सूची कोटेदारों को भेजी गई है और विभाग द्वारा सत्यापन किया जा रहा है। धान और गेहूं बेचने वालों में 70 फीसदी मामलों में फर्जीवाड़ा पाया गया है। जिनके पास एक एकड़ भी खेत नहीं है, उनके राशन कार्ड निरस्त किए जा रहे हैं।