मौलिक हक नेताओं की सिफारिश पर नहीं जनता की जरुरत के मुताबिक मिले : आशीष शर्मा।

राईट-टू-रिकॉल का हक जनता को मिलना समय की मांग
हमीरपुर 18 अप्रैल
हमीरपुर में हर पार्टी की सियासत का अड्डा बन चुके समीपवर्ती कस्बे लंबलु में युवा नेता आशीष शर्मा व उनकी टीम ने जिस तरह भव्य व शानदार युवा सम्मेलन करके सदर हमीरपुर के सत्ताधीशों की चूलें हिलाकर रख दी हैं। उसको सत्तासीन पार्टी अभी बेशक हलके में ले रही है लेकिन यह उसी तरह है जिस तरह कबुतर बाबु बिल्ली को देखकर आंखें बंद करके यह मान बैठता है कि अब कोई खतरा नहीं है। आशीष शर्मा व उसकी टीम द्वारा आयोजित युवा सम्मेलन में लंबलु में जिस तरह हजारों युवाओं की भीड़ तिरंगे के बैनरतले उमड़ी उसने बड़े-बड़ों के होश फाख्ता कर दिए हैं। आशीष शर्मा ने जिस तरह मौका मिलने पर हमीरपुर को चिट्टा व चरस मुक्त करने की हुंकार भरी है। शर्मा के इस संवाद से जहां एक ओर सत्ताधीशों की मंडली खुद-ब-खुद सवालों के कटघरे में आ खड़ी हुई है, वहीं कांग्रेस के टिकटार्थियों की चिंताएं भी बढ़ी हैं। शायद यही कारण है कि यकायक हमीरपुर की सियासत में उभरे युवा आशीष शर्मा के खिलाफ दोनों ही दलों के नेताओं की फौज ने उनके खिलाफ दुष्प्रचार करना शुरू कर दिया है। दिलचस्प यह है कि दुष्प्रचार उन नेताओं की जुंडली कर रही है जो कल तक सभ्रांत आशीष शर्मा के साधनों पर मौज करती रही है। यानि कल तक जो आशीष शर्मा सबके लिए सही था, जैसे ही आम नागरिक की दिक्कतों को लेकर उसने सत्ताधीशों की कारगुजारी पर सवाल खड़े किए हैं तो रातोंरात नेताओं की मंडली व जुंडली ने प्रख्यात आशीष शर्मा को यकायक कुख्यात करार देना शुरु कर दिया है। बावजूद इसके हमीरपुर के हर वर्ग की विश्वसनीयता हासिल कर चुके आशीष शर्मा के साथ हर आम और खास नागरिक कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा नजर आ रहा है। आशीष शर्मा की मानें तो उसकी लड़ाई उस सिस्टम से है जो जनता के मतों के दम पर बादशाह की मुद्रा में आम आदमी की मूलभूत सुविधाओं पर कुंडली मारकर बैठ जाता है और फिर सत्ता के तख्त सेे सिस्टम को हांकता हुआ अपनी सिफारिशों के दमपर जनता के मौलिक हकों का गला दबाता है। आशीष शर्मा की सुनें तो पानी प्यासे की जरुरत के मुताबिक मिलना चाहिए। शिक्षा पढऩे वाले छात्र की जरुरत के मुताबिक मिलनी चाहिए। बीमार को इलाज सेहत खराब होने की सूरत में मिलना चाहिए। सड़क राहगीरों व वाहन चालकों की जरूरत के मुताबिक बननी चाहिए। कार्यालयों में आम नागरिक का हर छोटा-बड़ा काम उसकी जरूरत के अनुसार होना चाहिए लेकिन यहां सब नेता की सिफारिश पर चल रहा है। अगर नेता न चाहे तो बेशक सारा गांव प्यासा मर जाए। इलाज नेता की सिफारिश पर, सड़क नेता की सिफारिश पर, शिक्षा नेता की सिफारिश पर, यहां तक कि हर छोटा-बड़ा काम नेता की सिफारिश पर होता है। ऐसे में नागरिक करे तो क्या करे, जाएं तो कहां जाएं। क्योंकि जनता चाहकर भी नेता का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। आशीष शर्मा ने कहा है कि अब सियासत के इस अराजकता भरे माहौल में राईट-टू-रिकॉल का हक जनता को मिलना बेहद जरूरी है ताकि किसी झांसे में आकर गलती होने पर जनता राईट-टू-रिकॉल के तहत आका बन रहे नेताओं को घर बिठा सके।