कर्मचारियों के लिए खुशखबरी: उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों के संविदा कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण की तैयारी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने नगरीय निकायों के संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार इस समय संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए प्रस्तावों की समीक्षा कर रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जा सकता है। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत हो सकता है जो लंबे समय से अपनी नौकरी को पक्का करने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार की तैयारी:
उत्तर प्रदेश के नगरीय निकायों के संविदा कर्मचारी लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे थे और उन्होंने कई बार प्रदर्शन भी किया था। अब राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और विभागों और निकायों से प्रस्ताव मंगाए हैं। एक बार प्रस्तावों पर सहमति मिलने के बाद, वित्त और कार्मिक विभाग से मंजूरी लेकर स्थायीकरण के आदेश जारी किए जाएंगे। सरकार ने संकेत दिया है कि इस महीने के अंत तक सभी कर्मचारियों को नियमित कर दिया जाएगा।
विनियमितीकरण नीति:
कर्मचारी संगठनों और शिक्षकों की मांग के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2016 में एक विनियमितीकरण नीति तैयार की थी। इस नीति के तहत, दिसंबर 2001 या उससे पहले काम कर रहे संविदा और डेलीवेज कर्मचारियों को स्थायी पदों पर रखा जाना था। हालांकि, वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियों के बाद इस प्रस्ताव को विचाराधीन कर दिया था। अब शहरी निकायों के संविदा कर्मचारियों के लिए यह प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है।
वित्तीय भार का समाधान:
यह खबर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शहरी निकायों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि वे अपने संसाधनों से कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य खर्चों का प्रबंध करेंगे। इस मॉडल के तहत सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, जिससे नियमितीकरण के आदेश में आ रहे सबसे बड़े रुकावट को हल किया जा सकेगा।
सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्ताव जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है और कर्मचारियों के लिए पक्की नौकरी मिलने के रास्ते को साफ कर देगा।