राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने गत सायं शिमला के ऐतिहासिक कालीबाड़ी हाल में अखिल भारतीय कलाकार संघ द्वारा आयोजित 68वीं वार्षिक अखिल भारतीय नाटक एवं नृत्य प्रतियोगिता के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समाज निर्माण में कला एवं कलाकार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि कला हमें जीवंत बनाती है और यह हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग है।
उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले छह दशकों में संघ ने विभिन्न आयोजनों के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल समाज को दिशा देते हैं बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का कारण बनते हैं। उन्होंने कहा कि यह संस्था जिस भावना से कला के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने का कार्य कर रही है, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने सभी कलाकारों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी।
राज्यपाल ने कहा कि नृत्य और नाटक हमेशा से मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहे हैं। उन्होंनेे कहा कि ये अभिव्यक्ति के ऐसे शक्तिशाली माध्यम हैं, जो भाषा के मोहताज नहीं है। इनके उपयोग से भावनाओं, कहांनियों और विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया जाता है। उन्होंने कहा कि कला के इन रूपों में हमें विभिन्न परिदृश्यों से रू-ब-रू करने, हमारी भावनाओं को जगाने और हमारी कल्पना को व्यापक बनाने की क्षमता है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रशांत भगत को सुदर्शन गौड़ लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, लोकिंदर त्रिवेदी को बलराज साहनी अवार्ड तथा आशीष पिल्लई और मीनू चड्डा को गोपी कृष्ण राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया।
अखिल भारतीय कलाकार संघ के अध्यक्ष रोहिताश्व गौड़ ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि शिमला में 6 से 10 जून तक आयोजित इस प्रतियोगिता में 20 राज्यों के लगभग 1000 कलाकारों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि संघ वर्ष 1955 में अस्तित्व में आया और अब तक देश भर में संघ द्वारा कई नाटक और नृत्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा चुका है।
इस अवसर पर संघ की उपाध्यक्ष डॉ. रेखा गौड़ ने राज्यपाल को सम्मानित किया।