नॉर्वे से आई कैल्शियम नाइट्रेट खाद ला रही हिमाचल के सेब बगीचों में हरियाली।

नॉर्वे से आई कैल्शियम नाइट्रेट हिमाचल प्रदेश के सेब बगीचों में हरियाली ला रही है। इस बार सरकारी उपक्रम हिमफेड जिस कंपनी की खाद उपलब्ध करवा रहा है, उसका नॉर्वे से आयात किया गया है। इन दिनों कैल्शियम नाइट्रेट पिंक बड स्टेज पर इस्तेमाल हो रही और मटर के दाने के आकार के सेब तैयार होते ही बगीचों में यह खाद डलेगी। यह खाद सेब के बगीचों में नाइट्रोजन और कैल्शियम पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है। यह गुणवत्ता वाले सेब की पैदावार में सहायक है।

प्रदेश के बागवान इन दिनों नॉर्वे से आई कैल्शियम नाइट्रेट को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। हिमफेड दो कंपनियों की खाद उपलब्ध करवा रहा है। इनमें एक कंपनी के बैग पर नॉर्वे से आयातित करने की सूचना है। यह सेब के पेड़ों के लिए अधिक गुणवत्तापूर्ण है। यही कारण है कि यह ज्यादा लोकप्रिय है।

अभी तक सेब बागवानों को कैन खाद उपलब्ध कराई जाती थी, लेकिन इसे करीब डेढ़ दशक पहले प्रतिबंधित कर दिया था। अब नॉर्वे की कैल्शियम नाइट्रेट बागवानों की पसंद बनी है। प्रदेश के बागवानों को यूरिया सस्ती मिलती है, इसमें भी नाइट्रोजन बहुत अच्छी मात्रा में होती है, लेकिन बागवानों का भरोसा कैल्शियम नाइट्रेट पर ज्यादा है।

सेब बागवानों को उपलब्ध कराई 850 मीट्रिक टन खाद
राज्य के सेब बागवानों के लिए 850 मीट्रिक टन कैल्शियम नाइट्रेट सरकार की एजेंसी हिमफेड ने उपलब्ध करवाई है। यह खाद सेब बागवानों को 1595 रुपये प्रति बैग 25 किलो के हिसाब से बेची जा रही है। बागवानों की जरूरत की खाद सेब उत्पादक क्षेत्रों में उपलब्ध है। नए स्टॉक की खाद 225 रुपये प्रति बैक महंगी हो गई है।

कैन बंद हुई, विकल्प के रूप में दी जा रही है यह खाद
प्रदेश में डेढ़ दशक पहले कैन खाद का उपयोग बंद हुआ तो इसके विकल्प के रूप में बागवानों खासकर सेब उत्पादकों को कैल्शियम नाइट्रेट उपलब्ध करवाई जा रही है।

क्या कहते हैं हिमफेड के अध्यक्ष
हिमफेड अध्यक्ष गणेश दत्त कहते हैं कि नॉर्वे से आई कैल्शियम नाइट्रेट उपयुक्त मात्रा में बागवानों के लिए उपलब्ध है और यह बागवानों को घरों के पास बेचा जा रहा है।