ठन ठन गोपाल हुआ हिमाचल , 1 तारीख को कर्मचारियों के खाते में नहीं आया पैसा।
हिमाचल प्रदेश आर्थिक संकट में:
हिमाचल प्रदेश सरकार के सामने वर्तमान में वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। यह संकेत पहले ही मिल चुके थे जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में विधायकों से अनुरोध किया था कि वे अगले दो महीनों के लिए अपनी सैलरी नहीं लें। यह पहला मौका है जब राज्य के 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को उनकी सैलरी समय पर नहीं मिल पाई। पहले हर महीने की 1 तारीख को वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाता था, लेकिन अब आर्थिक संकट के कारण सरकार को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, जो कर्मचारियों और पेंशनर्स के जीवन पर नकारात्मक असर डाल रहा है।
हिमाचल प्रदेश का कर्ज कितना बढ़ गया है?
हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में करीब 94 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका है। इस भारी कर्ज के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर हो गई है। पुरानी देनदारियों को चुकाने के लिए सरकार को नए कर्ज की आवश्यकता हो रही है। कर्मचारियों और पेंशनर्स के बकाया के रूप में राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का बोझ है।
कर्ज में इजाफा क्यों हुआ?
2022 के चुनाव में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद, सरकार ने चुनाव पूर्व किए गए वादों को पूरा करने के लिए भारी खर्च किया। राज्य सरकार के बजट का 40 प्रतिशत हिस्सा केवल सैलरी और पेंशन पर खर्च हो रहा है, जबकि करीब 20 प्रतिशत कर्ज और ब्याज की चुकौती में चला जाता है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने क्या कहा?
हाल ही में विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए अगले दो महीनों तक अपनी सैलरी न लेने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों से भी वेतन और भत्ते का लाभ न लेने का आग्रह किया। मॉनसून सत्र के तीसरे दिन सीएम सुक्खू ने विधायकों से भी अनुरोध किया कि वे स्वेच्छा से वेतन और भत्ते का त्याग करें। Read More