पंच भीखम रखने का महत्व
इंदु डोगरा धर्मपत्नी स्वर्गीय कुलभूषण डोगरा जी बार्ड़ 5 नादौन के घर में पंच भीष्म रखने की परंपरा पिछले
50 वर्षों से निभाई जा रही है । पहले यह परंपरा इनकी सास स्वर्गीय गायत्री डोगरा जी निभाया करती थी उसी
परंपरा को उनकी पुत्रवधु इंदु डोगरा आगे निभा रहे हैं ।
पंच भीखम में पांच दिन अन्न त्याग कर फलाहार का ही सेवन करके 24 घंटे 108 दियों में तेल डाल के उनको
बुझने न देना और पांच दिन धरती पर आसन लगा कर वहीं सोना !
इसमें श्रद्धालु पांच दिन दर्शन करने आते हैं और जिन्हें इंदु डोगरा जी पंच भीखम रखने के महत्व और
विभिन्न कहानियों के द्बारा समझाते हैं और हर शाम को आरती और भजन किए जाते है और श्रद्धालुओं को
प्रसाद और चरणामृत दिया जाता है ।
1.पंच भीखम या भीष्म पंचक, कार्तिक महीने के आखिरी पांच दिनों में मनाया जाता है. यह व्रत देवोत्थान
एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा को खत्म होता है. साल 2024 में भीष्म पंचक 12 नवंबर से शुरू होकर
16 नवंबर को खत्म होगा
2.महाभारत के अनुसार देवउठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक मृत्यु शैया पर लेटे हुए पितामह भीष्म ने
पांडवों को उपदेश दिए थे और उन्हें पापों से छुटकारा पाने का रास्ता दिखाया था. इसी कारण इसे भीष्म
पंचक कहा जाता है.