कारगिल में पाई शहादत समाधि स्थल तक नहीं निकली सड़क लोगों ने नहीं दी जमीन।

टिहरा( मण्डी) —– सरकाघाट उमंडल के चोलथरा गांव में वर्ष 1999 में शहीद कैप्टन दीपक गुलेरिया की याद में बना शहीदी पार्क आज भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ा है । सरकार ने लोगों से सड़क बनाने का वायदा किया था। लेकिन इसमें कुछ लोगों की मलकीत जमीनआने से आज तक संपर्क सड़क नहीं बन पाइ। समाधि स्थल पर बने इस रणबांकुरे का पार्क आज भी सड़क से वंचित है ।इसका इसकी देखभाल इसके पिता पूर्व डीआईजी स्वर्गीय मोहनलाल गुलेरिया को मलाल था कि वह अपने पैसे से समाधि स्थल का रखरखाव करते थे। मोहनलाल सीआरपीएफ में से बतौर डीआईजी रिटायर हुए थे । करीब 3 साल पूर्व उनका देहांत हो गया था। शहीद की पत्नी पूनम गुलेरिया पंचकूला में रह रही है । वह आर्मी स्कूल में नौकरी करती थी लेकिन बाद में जॉब छोड़ दी है । शाहिद का एक बेटा है जिसने सॉफ्टवेयर इंजीनियर की है अब एमबीए की है। एसडीएम सरकाघाट राहुल जैन ने बताया कि मामला ध्यान में है इस संदर्भ में जो उचित कार्यवाही होगी अमल में लाई जाएगी।

30 साल की उम्र में देश पर कुर्बान हो गए थे कैप्टन दीपक गुलेरिया–
कैप्टन दीपक गुलेरिया ने 30 साल की उम्र में देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी थी । उन्हें सेना मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया था । उनकी शहादत के समय उनका बेटा 1 साल का था । फौजी परिवार से संबंध रखने वाले टकैप्टन दीपक गुलेरिया 1992 में सी०डी०एस के जरिए बतौर लैफटिनैंट भर्ती हुए थे ।उन्होंने इंग्लिश ऑनर्स और लॉ करने के बाद सेना को चुना कैप्टन दीपक गुलेरिया लॉनटेनिस और बास्केटबाल के बेहतरीन खिलाड़ी थे ।सीनियर सेकेंडरी स्कूल चोलथरा का नाम शहीद कैप्टन दीपक गुलेरिया रखा गया है। तीन वर्ष पूर्व कैप्टन दीपक की कांस्य प्रतिमा स्कूल में स्थापित की गई थी।