भारत ने चीन के 5 उत्पादों पर लगाया डंपिंग रोधी शुल्क, घरेलू उद्योगों को मिलेगा संरक्षण
नई दिल्ली, 24 मार्च 2025: भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले पांच उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। यह शुल्क पांच साल के लिए लागू रहेगा और इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को चीन के अत्यधिक सस्ते आयात से बचाना है। यह फैसला वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर (Directorate General of Trade Remedies) की सिफारिश पर लिया गया है।
किन उत्पादों पर लगा एंटी-डंपिंग शुल्क?
भारत सरकार ने जिन पांच चीनी उत्पादों पर शुल्क लगाया है, वे हैं:
✔ सॉफ्ट फेराइट कोर
✔ वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क
✔ एल्युमीनियम फॉयल (अस्थायी शुल्क: 873 डॉलर प्रति टन)
✔ ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड
✔ पॉली विनाइल क्लोराइड (PVC)
इनमें से कुछ उत्पादों पर 276 डॉलर से 1732 डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है।
भारत सरकार का फैसला क्यों जरूरी?
✔ घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: सस्ते आयात के कारण भारतीय कंपनियों को नुकसान हो रहा था।
✔ रोजगार की रक्षा: भारतीय एमएसएमई और छोटे उद्योगों पर चीनी आयात के कारण संकट खड़ा हो सकता था।
✔ अनुचित व्यापार नीति पर रोक: चीन डंपिंग नीति अपनाकर पहले सस्ते उत्पाद निर्यात करता है और फिर जब घरेलू उद्योग कमजोर हो जाते हैं, तो दाम बढ़ा देता है।
डंपिंग और एंटी-डंपिंग शुल्क क्या है?
✔ डंपिंग: जब कोई देश अपने उत्पादों को बहुत कम कीमत पर किसी दूसरे देश में बेचता है, तो इसे डंपिंग कहते हैं। इससे उस देश की घरेलू कंपनियां प्रतिस्पर्धा नहीं कर पातीं और बंद होने की कगार पर आ जाती हैं।
✔ एंटी-डंपिंग शुल्क: इस समस्या से बचने के लिए सरकार उस उत्पाद पर अतिरिक्त टैक्स लगा देती है, ताकि घरेलू कंपनियों को नुकसान न हो।
भारत का यह कदम क्यों अहम?
➡ अमेरिका द्वारा चीन पर टैरिफ बढ़ाने के बाद, आशंका थी कि चीन अपने उत्पादों को भारत में सस्ती दरों पर डंप करेगा।
➡ स्टील पर पहले ही 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगाई जा चुकी है। अब 5 और उत्पादों पर शुल्क लगाकर भारत ने घरेलू कंपनियों की सुरक्षा को मजबूत किया है।
➡ एमएसएमई सेक्टर को मिलेगा फायदा, क्योंकि भारत में इन उत्पादों का 80-90% निर्माण छोटे और मध्यम उद्योगों में होता है।
भारत सरकार का यह कदम चीन की अनुचित व्यापार नीतियों को जवाब देने और घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अहम है। इससे भारतीय कंपनियों को सस्ती चीनी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा करने में राहत मिलेगी और देश में रोजगार के अवसर भी सुरक्षित रहेंगे।