हिमाचल में एड्स नियंत्रण को लेकर बैठक आयोजित, नशा मुक्ति के लिए सख्त निर्देश
हिमाचल प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति की मासिक बैठक परियोजना निदेशक राजीव कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में राज्य में बढ़ते इंजेक्टिंग ड्रग्स (सुई द्वारा नशा लेने) के मामलों पर गहन चर्चा की गई। समिति ने गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को निर्देश दिए कि वे हर सप्ताह न्यूनतम पांच इंजेक्टिंग ड्रग यूजर्स को मानसिक स्वास्थ्य (साइकियाट्रिक) विभाग में रेफर करें ताकि उन्हें सही चिकित्सा और परामर्श मिल सके।
इंजेक्टिंग ड्रग यूजर्स के पुनर्वास पर जोर
बैठक में अधिकारियों ने कहा कि नशे की लत से जूझ रहे लोगों को सही उपचार और काउंसलिंग प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक जिले में मौजूद साइकियाट्रिक विभागों में इस तरह के मरीजों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहां उनका समुचित उपचार किया जा सकता है।
राजीव कुमार ने कहा कि नियमित स्वास्थ्य जांच, काउंसलिंग और थेरेपी के माध्यम से नशा छुड़ाने में महत्वपूर्ण सफलता मिल रही है। मनोवैज्ञानिक परामर्श से नशा करने वाले व्यक्तियों की सोच में सकारात्मक बदलाव आता है, जिससे उनकी ड्रग्स पर निर्भरता धीरे-धीरे कम होती जाती है। यह प्रक्रिया न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती है, बल्कि उन्हें सामान्य जीवन की ओर लौटने में भी मदद करती है।
गैर-सरकारी संगठनों की जिम्मेदारी होगी तय
परियोजना निदेशक ने यह भी निर्देश दिए कि NGOs नशा करने वाले व्यक्तियों को चिकित्सा सहायता दिलाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। साइकियाट्रिक विभाग में रेफर किए गए मरीजों की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए NGO स्टाफ को उनके साथ रहना होगा और उनकी प्रगति पर लगातार नजर रखनी होगी।
उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों और मानसिक स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर समन्वय से इन प्रभावित लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। सरकार और सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में ड्रग्स की समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
नशा मुक्ति के लिए सरकार के प्रयास
सरकार लगातार नशा मुक्ति अभियान चला रही है और इसके तहत राज्य भर में जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। विभिन्न सरकारी योजनाओं और हेल्थकेयर सुविधाओं का लाभ उठाकर नशा करने वाले व्यक्तियों को बेहतर जीवन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य एड्स नियंत्रण समिति की इस बैठक में लिए गए फैसले हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशे की समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। NGOs और स्वास्थ्य विभाग के आपसी सहयोग से ड्रग्स के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है और प्रभावित व्यक्तियों को स्वस्थ जीवन की ओर लौटने में मदद की जा सकती है।