नए लेबर कोड से ज्यादातर उद्योगपतियों को ही फ़ायदा।

टिहरा मण्डी)-धाड़ता क्षेत्र से संबंध रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता – रमेश भारद्वाज उर्फ रमेश चन्द, जो कई कंपनियों में काम कर चुके हैं कि माने तो नए लेबर कोड से ज्यादातर फ़ायदा सिर्फ उद्योगपतियों को ही मिलेगा, न ही निजी क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को। उनके अनुसार नए लेबर कोड कुछ एक उद्योगपतियों के हिसारे पर ही बनाएं गए हैं। काफ़ी एक कंपनियों में पहले से ही कई लोगों से 12-12 घंटे काम करवाते हैं। और ये सवाल हम सबके बच्चों के भविष्य का हैं। जब कोई व्यक्ति 12-12 घंटे काम करेगा, तो आप खुद सोचिए कि उसके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा। वो व्यक्ति कब खाना बनाएगा, कब सोएगा, कब मेडिटेशन और धूप अगरबत्ती करेगा, कब कार्यलय या फैक्ट्री के लिए आने जाने का समय निकलेगा, कब वो अपने मां बाप और बच्चों की पढ़ाई की ओर ध्यान देगा तथा कब वो दिनचर्या की चीज़े लेने मार्केट जाएगा? क्यूंकि रात दिन मिलाकर घंटे तो सिर्फ 24 ही हैं। अब जो लोग अभी प्राइवेट सैक्टर में काम कर रहे हैं, वो तो इसका विरोध भी नहीं कर सकते नहीं तो उन्हे नौकरी से निकाल दिया जा सकता हैं। नए लेबर कोड के मुताबिक अगर कोई नौकरी छोड़ता हैं या उसे निकाला जाता हैं, तो उसका हिसाब दो दिन में करना होगा। पहले तो इस नियम को बनाने वाले ये बताएं कि किसी की नौकरी से निकालना ही क्यूं हैं, अगर वो अपना काम ईमानदारी से कर रहा हैं तो, पर कंपनी को निकालने है की क्योंकि उन्हें यूज एंड थ्रो आउट की पॉलिसी जो अपनानी है, जिससे वो ज्यादा अमीर बन सके, मतलब दस लोगों निकालो और फिर और पांच या दस कम तनख्वाह वाले रख लो। ज्यादातर कंपनियां हमारे नेताओं की ही है या तो उनके रिश्तेदारों की है, इसलिए उन्होंने ये नए लेबर कोड, अपने हिसाब से बनाए हैं।
प्राइवेट सैक्टर में काम करने वाले लोगों को किस को क्या मिल रहा है, इससे कोई आपत्ती नहीं हैं, पर सरकारी कर्मचारियों की तरह बुढ़ापा पेंशन और अन्य सुविधाएं उनको भी तो मिलनी चाइए। जब वो टैक्स देते हैं, तो फिर उन्हें पेंशन और सरकारी कर्मचारियों की तरह जॉब सिक्योरिटी क्यूं नहीं? सरकारी कर्मचारियों को किसी को कभी एरियर तो किसी को कैंटर सुविधा सब हैं, पर प्राईवेट नौकरी करने वालों को नहीं। या तो फिर सभी को सरकारी नौकरी मिलनी चाइये – जो की देशहित में नहीं हैं, पर सरकारी कर्मचारियों की तरह, प्राइवेट नौकरी करने वालों का भविष्य भी तो उज्ज्वल होना चाहिए। इसे ऐसा प्रतीत होता है कि तकरीबन सभी नेता केवल उद्योगपतियों को ही समर्पित है न की कर्मचारियों के हित में भी।
ईमानदार कर्मचारी के लिए काम के घंटे 8 ही काफ़ी है और साप्ताहिक अवकाश हर रविवार और दूसरा और चौथा शनिवार होना चाहिए।
प्राइवेट सैक्टर में काम करने वाले लोगों के अलावा रवि कुमार, अभिषेक भारद्वाज, अजय भारद्वाज, कुलदीप सिंह सुमन, सुरजीत, प्रदीप कपिल, वंदना कुमारी, राज कुमार, इत्यादि ने इस का समर्थन किया ।