शिलाई उपमंडल की रास्त पंचायत में हर आंख नम है। चार मासूम बच्चों के साथ पांच की मौत के बाद परिवार का मुखिया प्रदीप कुमार भी अब दुनिया में नहीं रहा। आईजीएमसी ले जाते वक्त प्रदीप ने दम तोड़ दिया।
सोमवार की शाम मंजर उस समय और दर्दनाक हो गया, जब तीन मासूम बच्चों का मां के साथ एक चिता पर खिजवाड़ी के श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार हुआ। हादसे से जुड़ी तस्वीरें विचलित करने वाली हैं। इन्हें आपसे साझा नहीं किया जा सकता। इस घटना के दृश्य की कल्पना मात्र से ही हर कोई सिहर उठेगा।
कुदरत का खेल देखिए, प्रदीप के तीन मासूम बच्चे अमूमन दूसरे गांव में दादा-दादी के पास रहा करते थे, लेकिन रविवार की छुट्टी की वजह से माता-पिता के पास आ गए थे।
रविवार शाम बारिश का दौर जारी होने के कारण वो दादा-दादी के पास नहीं लौट पाए। हादसे में जिंदा बचे अभागे पिता को जिंदगी भर के लिए गहरे जख्म मिले, वो भी इन जख्मों को चंद घंटों तक ही सहन कर पाया। एक बच्ची को जब निकाला गया तो उसकी सांसें चल रही थी। बेहोशी की हालत में वो कह रही थी कि, पापा रोनहाट जाओगे तो मेरे लिए चिप्स व कुरकुरे लेकर आना। विडंबना देखिए, 12 घंटे तक हादसे की खबर किसी को नहीं लगी।
सुबह के वक्त जब एक व्यक्ति वहां से गुजरा तो उसे किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। रविवार रात परिवार इस कारण भी जल्दी सो गया था, क्योंकि तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली ईशिता का चयन खंड स्तर पर लोकनृत्य प्रतियोगिता के लिए हुआ था। ईशिता को सुबह शिलाई भेजना था। इसके लिए परिवार ने बच्ची का जरूरी सामान एक थैले में भरकर रात को ही रख दिया था।
रात के 8 बजे के आसपास आसमान से ऐसी आफत बरती कि पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा मकान के उपर गिर गया। सो रहा परिवार मलबे में दब गया। रात भर परिवार मलबे के नीचे चीख पुकार करता रहा, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था। मासूम बच्चे मां के आंचल से लिपट कर मदद का इंतजार करते रहे।