ओडिशा रेल हादसा : क्या है वह प्वाइंट मशीन और इंटरलॉकिंग सिस्टम? सीबीआई ढूंढ रही ओडिशा रेल हादसे का सच

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के कारणों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर यह हादसा क्यों हुआ। रेलवे की शुरुआती जांच में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में गड़बड़ी को हादसे की वजह बताया गया। इस गड़बड़ी की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन के बजाय लूप लाइन में चली गई। बाद में रेलवे की तरफ से ट्रेन हादसे में लोको पायलट की गलती और प्रणाली की खराबी की संभावना से इनकार किया गया। साथ ही संभावित ‘तोड़फोड़’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ और प्वाइंट मशीन से छेड़छाड़ का संकेत की भी बात सामने आ रही है। सीबीआई अब इस मामले की जांच कर सच खोजने में जुटेगी। ऐसे में सवाल है कि आखिर ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ सिस्टम और प्वाइंट मशीन क्या है?रेलवे का इंटरलॉकिंग सिस्टम ऐसी तकनीक है, जो रेलवे के सिग्नल और उसके मुताबिक ट्रैक यानी पटरियों में फेरबदल को कंट्रोल करती है।
रेलवे में दो तरह से इंटरलॉकिंग सिस्टम होते हैं। एक- कम्प्यूटर से कंट्रोल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम। दूसरे- लीवर खींचकर रूपट बदने वाला मैनुअल सिस्टम
इसी तरह रेल ट्रैक भी अप, डाउन लाइन में बंटा होता है। हादसे के रूपट पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम था।
यह सिस्टम ट्रैक खाली देखकर ट्रेन को ग्रीन सिग्नल देता है और ट्रेन मेन लाइन पर सीधी निकल जाती है।
ट्रैक बिजी है तो सिस्टम येलो सिग्नल देता है और ट्रेन मेन लाइन से लूप (आउटर लाइन) की ओर मोड़ दी जाती है।
हादसे की जगह कोरोमंडल के लिए ग्रीन सिग्नल था लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से वह लूप लाइन में चली गई। इसी की जांच हो रही है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। रेलवे का इंटरलॉकिंग सिस्टम ऐसी तकनीक है, जो रेलवे के सिग्नल और उसके मुताबिक ट्रैक यानी पटरियों में फेरबदल को कंट्रोल करती है।
रेलवे में दो तरह से इंटरलॉकिंग सिस्टम होते हैं। एक- कम्प्यूटर से कंट्रोल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम। दूसरे- लीवर खींचकर रूपट बदने वाला मैनुअल सिस्टम
इसी तरह रेल ट्रैक भी अप, डाउन लाइन में बंटा होता है। हादसे के रूपट पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम था।
यह सिस्टम ट्रैक खाली देखकर ट्रेन को ग्रीन सिग्नल देता है और ट्रेन मेन लाइन पर सीधी निकल जाती है।
ट्रैक बिजी है तो सिस्टम येलो सिग्नल देता है और ट्रेन मेन लाइन से लूप (आउटर लाइन) की ओर मोड़ दी जाती है।
हादसे की जगह कोरोमंडल के लिए ग्रीन सिग्नल था लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से वह लूप लाइन में चली गई। इसी की जांच हो रही है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। रेलवे ने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में मैनुअल गड़बड़ी से इनकार किया है। रेलवे बोर्ड की मेंबर जया वर्मा सिन्हा के मुताबिक, कंप्यूटर से कंट्रोल इस सिस्टम में गड़बड़ी की आशंका 99.9% नहीं है, लेकिन 0.1% गड़बड़ हो भी सकती है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में मेंटिनेंस का कोई काम चल रहा हो, किसी ने गड्डा खोद दिया हो और केबल कट गई हो। वहां का मौसम, आसपास कुछ कट-फट गया हो या फिर किसी ने कंप्यूटर से छेड़छाड़ की कोशिश की हो तो यह गड़बड़ी हो सकती है। इसकी जांच जा रही है।इसमें खास बात है कि हादसे को लेकर पायलट की बात का भी जिक्र हो रहा है। हादसे के बाद पायलट जब होश में था तो उसने कहा था कि मुझे सीधे जाने का ग्रीन सिग्नल मिला और ट्रेन उस दिशा में जा रही थी। रेलवे बोर्ड की ऑपरेशन बिजनेस ऐंड डिवलपमेंट मेंबर जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि हादसे की खबर आने के बाद 15 मिनट बाद ही मैंने कोरोमंडल एक्सप्रेस के पायलट से बात की। पायलट का इलाज अस्पताल में चल रहा है। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।