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बासमती चावल की फसल की सुरक्षा: कीटों और रोगों से बचाव के उपाय….

बासमती चावल की फसल की सुरक्षा: कीटों और रोगों से बचाव के उपाय….

बासमती चावल की फसल कई प्रकार के कीटों और रोगों का शिकार हो सकती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। यदि कुछ सावधानियाँ पहले से बरती जाएं, तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर उचित देखभाल और कुछ प्राकृतिक उपायों को अपनाकर फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है।

कीटों का खतरा
पश्चिम चम्पारण के कृषि विशेषज्ञ रविकांत पांडे, जो पिछले 10 वर्षों से कृषि अनुसंधान में जुटे हैं, ने बताया कि तना छेदक कीट बासमती चावल के तनों में छिद्र करता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। वहीं, गंधी बग कीट पौधों के बीज और फूलों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पैदावार में कमी आ सकती है। पत्ता लपेटक कीट पत्तियों को मोड़कर उनकी हरी पत्तियों को नष्ट करता है, जिससे पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है।

रोकथाम के उपाय
नीम का तेल: यह एक प्राकृतिक कीटनाशक है, जो कीड़ों से पौधों की रक्षा करता है। सप्ताह में एक बार 5% नीम के तेल का छिड़काव करने से तना छेदक और गंधी बग से राहत मिलती है।

फेरोमोन ट्रैप्स:

यह एक जैविक उपाय है जो नर कीटों को आकर्षित कर पकड़ता है, जिससे उनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। यह तना छेदक और पत्ता लपेटक कीटों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है।

घास की मल्चिंग: फसल के चारों ओर घास की परत बिछाने से कीड़ों का प्रवेश कम होता है और जड़ें सुरक्षित रहती हैं।

इंटरक्रॉपिंग: बासमती चावल की फसल के बीच चौड़ी पत्तियों वाली फसलें जैसे मूंग या उड़द बोने से कीटों का हमला कम होता है। इससे कीड़े भटकते हैं और फसल की सुरक्षा होती है।

जैविक कीटनाशक: गोबर का घोल या वर्मीवॉश जैसे जैविक कीटनाशक का उपयोग करें। ये कीटों को दूर रखते हैं और फसल को नुकसान नहीं पहुँचाते।

छिड़काव का समय
किसान ध्यान दें कि कीट आमतौर पर मॉनसून के बाद फसलों पर हमला करते हैं। इसलिए, कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मॉनसून के अंत और शरद ऋतु की शुरुआत में कीटनाशकों का छिड़काव करें। इससे कीट फसल पर हमला करने से पहले ही समाप्त हो जाते हैं।

इन उपायों को अपनाकर किसान बासमती चावल की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं।

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