उखली से दिल्ली तक पहुंच रहे हैं शिव कुमार के फूल

पॉलीहाउस पर सब्सिडी से खिली उखली के शिव कुमार की तकदीर
पहले सब्जी बेचकर करते थे गुजारा, अब हर सीजन में उगा रहे हैं लाखों के फूल

हमीरपुर 28 मई। फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करके किसानों और बागवानों की आय बढ़ाने की दिशा में प्रदेश सरकार की विभिन्न सब्सिडी योजनाओं के सराहनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक है उद्यान विभाग की पॉलीहाउस अनुदान योजना।
जी हां, इसी योजना के कारण ही आज हमीरपुर जिले के एक छोटे से गांव उखली के किसान शिव कुमार लाखों के फूल दिल्ली तक पहुंचा रहे हैं। उद्यान विभाग की इस योजना से मानों शिव कुमार की तकदीर ही खिल उठी है।
शिव कुमार अपने गांव में ही सब्जी बेचकर जैसे-तैसे परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। सुबह से लेकर शाम तक सब्जी की बिक्री से होने वाली आय और कृषि योग्य थोड़ी सी जमीन से पत्नी वंदना, बूढ़ी माता और बेटियों वाले परिवार का गुजारा मुश्किल से हो पा रहा था। आय का कोई अन्य साधन नजर नहीं आ रहा था।
ऐसी परिस्थितियों में शिव कुमार को उद्यान विभाग की पॉलीहाउस अनुदान योजना का पता चला। उन्होंने तुरंत विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया और योजना से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त की। विभागीय अधिकारियों ने शिव कुमार का मार्गदर्शन किया और उन्हें पॉलीहाउस लगाने के लिए प्रेरित किया। योजना के तहत 85 प्रतिशत अनुदान पाकर शिव कुमार ने लगभग 3000 वर्गमीटर का पॉलीहाउस लगाया। इस पर उन्हें विभाग की ओर से लगभग 28000 रुपये का अनुदान मिला।
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में सात दिन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने पॉलीहाउस में कारनेशन फूल की खेती आरंभ की, जिसकी दिल्ली जैसे बड़े शहरों में काफी मांग रहती है। शिव कुमार का यह प्रयोग पूरी तरह कामयाब रहा और उन्हें एक पॉलीहाउस से ही अच्छी आमदनी होने लगी। आजकल वह पांच से सात लाख रुपये तक के कारनेशन फूल बेच रहे हैं। इससे न केवल शिव कुमार के परिवार की आजीविका चल रही है, बल्कि कई अन्य लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। अब वह अपना कारोबार बढ़ाने के लिए एक और पॉलीहाउस लगाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके लिए भी उद्यान विभाग की ओर से अनुदान का प्रस्ताव मंजूर होने वाला है।
प्रदेश सरकार की इस योजना की प्रशंसा करते हुए शिव कुमार ने बताया कि 85 प्रतिशत अनुदान वाली इस योजना के माध्यम से किसानों-बागवानों को इतनी मदद मिलती है, जितनी मदद शायद उनके अपने सगे-संबंधी भी नहीं कर सकते हैं।