गणतंत्र दिवस दिल्ली की परेड का आकर्षण बढ़ाएगा सिरमौर का सिंहटू नृत्य
दिल्ली कर्तव्य पथ पर सांस्कृतिक परेड में पहली बार प्रस्तुत होगा सिरमौर का सिंहटू नृत्य
76 वें राष्ट्रीय स्तरीय गणतन्त्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर सांस्कतिक परेड में आसरा संस्था पझौता, सिरमौर के कलाकारों द्वारा जिला सिरमौर के हाटी जनजातीय क्षेत्र के सिहदू नृत्य की झलक प्रस्तुत की जाएगी। आसरा संस्था के संस्थापक डाक्टर जोगेंद्र हाब्बी ने बताया कि संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के सौजन्य से संगीत नाटक अकादेमी की अध्यक्षा डॉ संध्या पुरेचा द्वारा सांस्कृतिक परेड के लिए कोरियोग्राफ किए जा रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूरे भारत के लगभग सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के पांच हजार से अधिक कलाकार एक तालस्वर में विभिन्न प्रकार के लोक एवं जनजातीय नृत्यों की प्रस्तुति देंगे। इस विशाल प्रदर्शन को संस्कृति मंत्रालय द्वारा 24 जनवरी को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज करवाया जाएगा।
कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया गणराज्य के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो, भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अन्य विशिष्ट अतिथियों के समक्ष अन्य नृत्यों के साथ मुख्य मंच के समक्ष सिंहटू के मुख्य आकर्षण शेर को भी प्रदर्शित किया जाएगा तथा रीछ, राल, बणमानुश, पंछी आदि के मुखोटों को अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा।
भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के आदेशानुसार सिरमौर जिला के सिंहटू नृत्य की प्रस्तुति गणतंत्र दिवस में पहली बार होने जा रही है ।जिस कारण आसरा के कलाकारों में काफी उत्साह है। हालांकि 20 वर्ष पहले भी इस दल के कलाकारों ने अन्य कलाकारों के साथ मिलकर वर्ष 2005 में इसी परेड में 250 युवा कलाकारों को सिरमौरी नाटी का प्रशिक्षण देकर देशभर में दूसरा स्थान प्राप्त कर सिरमौरी नाटी को एक मुकाम पर पहुंचाया था।
सांस्कृतिक परेड में विभिन्न राज्यों के साथ सिंहटू नृत्य के अलावा कर्तव्य पथ के विभिन्न स्थानों पर प्रदेश की कुल्लुवी, सिराजी व सिरमौरी ,नाटी के लगभग 200 हिमाचली कलाकार भी सांस्कृतिक परेड का हिस्सा बनकर प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करेंगे।
पद्मश्री विद्यानंद सरैक व डॉ जोगेन्द्र हाब्बी ने लगभग दो दर्शक पूर्व जिला सिरमौर में देव परम्परा से जुड़े सिंहटू नृत्य पर अध्ययन व शोध कार्य करने के पश्चात् इस नृत्य को परिष्कृत करके आम जनमानस के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक मंचों पर लाया था। आज सिंहटू नृत्य न केवल प्रदेश में बल्कि राज्य से बाहर भी दर्शकों का विशेष आकर्षण बन चुका है। यही कारण है कि इस बार सिंहटू नृत्य को गणतंत्र दिवस की सांस्कृतिक परेड में शामिल किया गया है। इससे पूर्व भी दर्जनों बार यह नृत्य महामहिम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है।
गौरतलब है की इन दिनों हाब्बी मानसिंह कला केंद्र जालग में संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित कलाकार गुरु गोपाल हाब्बी द्वारा नये कलाकारों को सिंहटू मुखौटा, परिधान निर्माण और नृत्य का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है । तथा इनके द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं अधिकतर कलाकार इस परेड में सिंहटू नृत्य प्रदर्शन करेंगे।