नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़: 18 लोगों की मौत, सियासी बयानबाज़ी तेज़
शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। इस घटना के बाद राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। विपक्षी दलों ने सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए, वहीं सत्ता पक्ष ने इन बयानों को राजनीति से प्रेरित बताया।
लालू यादव के बयान पर मचा बवाल
राजद प्रमुख लालू यादव ने इस हादसे के बाद कहा, “फालतू है कुंभ, रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए,” जिसके बाद सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने उन पर तीखा हमला बोला। लालू के इस बयान को ‘असंवेदनशील’ करार देते हुए जदयू नेता राजीव रंजन ने कहा, “राजनेताओं को कुछ वर्जित क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करना चाहिए। आस्था और विश्वास की जगह बेहद गहरी होती हैं। ऐसे समय में मानवीय संवेदनाएं अहम हैं, लेकिन लालू यादव इस त्रासदी पर भी सियासत कर रहे हैं।”
राजीव रंजन ने आगे कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की।” उन्होंने लालू यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि हादसे के दिन राजद प्रमुख को भी पीड़ितों की सहायता के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए थे।
बीजेपी और हम पार्टी का हमला
बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, “लालू यादव की उम्र अधिक हो गई है, इसलिए वह क्या बोलते हैं, उन्हें खुद ही नहीं पता। विपक्ष को तुरंत राजनीति करने के बजाय जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।”
वहीं, हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा, “कुंभ स्नान फालतू है और चारा खाना पुण्य है, क्या आपके हिसाब से यह सही है लालू प्रसाद जी? देश आपका जवाब चाहता है।”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप पर जनता की प्रतिक्रिया
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की इस घटना ने जहां कई परिवारों को शोक में डुबो दिया, वहीं राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया। जनता के बीच इस बात को लेकर नाराजगी है कि राजनीतिक नेता इस तरह की त्रासदी पर संवेदनशीलता दिखाने के बजाय राजनीति करने में लगे हुए हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि ‘कुंभ’ जैसे धार्मिक आयोजनों को ‘फालतू’ कहना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे लाखों श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत होती हैं। दूसरी ओर, इस घटना ने रेलवे की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे के बाद की स्थिति और राहत कार्य
घटना के तुरंत बाद, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों का जायजा लिया। घायलों को पास के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। रेलवे प्रशासन ने घटना की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जो भगदड़ के कारणों का पता लगाएगी।
सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
क्या राजनीति से ऊपर उठेगी संवेदनाएं?
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में हुई मौतें बेहद दुखद और चिंताजनक हैं। ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है। वहीं, राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि वे इस तरह की त्रासदी पर सियासत करने के बजाय पीड़ितों की मदद और सुरक्षा व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए मिलकर काम करें।
इस हादसे ने न केवल सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि राजनीति और बयानबाजी से ज्यादा जरूरी है मानवीय संवेदनाएं और पीड़ितों के प्रति सहानुभूति।
क्या कहती है आपकी राय?
क्या इस तरह की घटनाओं पर राजनीतिक बयानबाज़ी उचित है? क्या सरकार को इस हादसे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट सेक्शन में बताएं।