मौसम के बेरुखी से सेब उत्पादन में पड़ सकता है असर उत्पादन में भारी कमी की आशंका
सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्रों मे जिसमे राजगढ़ के रासू मांदर परघेल , पझोता ,हाब्बन के साथ साथ हरिपूरधार नौहराधार में समय पर बारिश व बर्फबारी नहीं होने से सब आर्थिकी पर असर पड़ने लगा है। सर्दीयो में भी बारिश व बर्फबारी नहीं होने तथा सेब व अन्य फलों के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावना नहीं है। जिससे सेब की पैदावार पर असर पड़ सकता है। वहीं सेब के बगीचों में सूखे का असर भी साफ दिख रहा है।
सेब उत्पादक क्षेत्रो में चिलिंग आवर्स 15 दिसम्बर से शुरू हो जाते हैं। सेब की अच्छी पैदावार के लिए बगीचों में सेब के पौधों के लिए 7 डिग्री सैल्सियस से कम तापमान में 700 से लेकर 1600 घंटों के चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है, जो शुरू से पूरी नहीं हो पाई है। अगर मौसम ऐसा ही बना रहा, समय पर बारिश या बर्फ नहीं गिरती है तो इससे बगीचों में चिलिंग आवर्स पर असर पड़ सकता है। फरवरी का महीना आरंभ हो चुका है मगर अभी तक 25 प्रतिशत चिलिंग आवर्स भी शायद पूरे नही हो पाए है । क्योंकि हिमपात व बारिश ना के बराबर है अकेले जनवरी महीने में ही मौसम विभाग के आंकड़ो के अनुसार लगभग 85 प्रतिशत कम मेघ बरसे है ।
चिलिंग आवर्स के लिए अधिकतम और न्यूनतम दोनों का कम होना बेहद जरूरी है। न्यूनतम व अधिकतम तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस के बीच में होना चाहिए लेकिन प्रदेश के सेब उत्पादित क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 10 से 15 डिग्री के बीच चल रहा है।
न्यूनतम तापमान में भी उतार-चढ़ाव बना हुआ है, जिसका असर चिलिंग आवर्स पर पड़ रहा है। सेबों को अगर समय पर और पूरा चिलिंग आवर्स नहीं मिलता है तो इससे सेब की फसल पर असर पड़ सकता है।
इससे सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होगी। ठंड के घंटे कम होने से पौधों पर जल्दी फूल आ जाएंगे जो सेब की पैदावार के लिए ठीक नहीं है। चिलिंग आवर्स जीतने ज्यादा रहेंगे, फ्लावरिंग उतनी देरी से होगी और यह सेब के लिए फायदेमंद रहेगी। सेब भी देरी से आएगा और उतनी ही क्वालिटी का सेब पैदा होगा।
विषय वाद विशेषज्ञ बागवानी विभाग विनोद धोल्टा के अनुसार सेब के पौधों के लिए 7 डिग्री से कम तापमान में 800 से 1600 घंटे चिलिंग आवर्स की जरूरत रहती है।
आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे न होने का असर फ्लावरिंग पर पड़ता है, पौधों में एक समान फ्लावरिंग नहीं होती तथा कमजोर फ्लावरिंग से फूल झड़ जाते हैं। समय से बारिश-बर्फबारी नहीं हुई तो चिलिंग आवर्स पूरे न होने पर सेब उत्पादन में कमी आ सकती है। इन दिनों बागवान अपने बगीचों में काट-छांट का कार्य कर सकते हैं। नमी को संरक्षित करने के लिए मल्च का प्रयोग करें।