हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् की बैठक निदेशालय में प्रथम सत्र में उच्चतर शिक्षा निदेशक डॉ अमरजीत शर्मा एवं द्वितीय सत्र में प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक डॉ पंकज ललित की अध्यक्षता में दो सत्रों में सम्पन्न हुई।

हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् की बैठक शिक्षा निदेशालय शिमला में दो सत्रों सम्पन्न हुई। जिसमें प्रथम सत्र की बैठक में उचचतर शिक्षा निदेशक डॉ अमरजीत शर्मा ने बैठक की अध्यक्षता की और परिषद् के मांग पत्र पर क्रमशः चर्चा की। बैठक में सर्वप्रथम प्रदेशाध्यक्ष डॉ मनोज शैल ने विद्यालयों में होने वाली प्रातः कालीन प्रार्थना सभा में त्रिभाषा सूत्र के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संस्कृत, हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में प्रार्थना में होने वाली गतिविधियों को करवाने की आधिकारिक स्वीकृति प्रदान करने हेतु धन्यवाद किया। इसके साथ कक्षा बारहवीं तक संस्कृत विषय प्रत्येक विद्यालय में चरणबद्ध तरीके से देने हेतु चर्चा हुई। जिसमें परिषद् ने सुझाव दिया कि प्रथम चरण में प्रदेश में जितने भी डिग्री कॉलेज तथा संस्कृत कालेज हैं उनके 10 कि.मी.की परिधि में जितने भी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं उनमें संस्कृत विषय शुरू किया जाए। इस पर निदेशक महोदय ने कहा कि यह प्रस्ताव अच्छा है और सरकार को भेजा जायेगा। परिषद् ने निवेदन किया कि प्रदेश की दूसरी राजभाषा संस्कृत है अतः इसके संवर्द्धन के लिए साईंस क्विज़ की तरह ही संस्कृत में छिपे ज्ञान विज्ञान को जानने के लिए संस्कृत (क्विज़) ज्ञान प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया जाए। जिस प्रकार विज्ञान (फेयर) मेले का आयोजन किया जाता है उसी प्रकार संस्कृत फेयर का भी आयोजन किया जाए । जिसमें छात्रों द्वारा संस्कृत प्रदर्शनी, संस्कृत चार्ट निर्माण, संस्कृत में विज्ञान विषय पर मॉडल निर्माण तथा अन्य संस्कृत गतिविधियों का आयोजन हो ।खेलकूद प्रतियोगिताओं के अन्तर्गत होने वाली विद्यालयीय व महाविद्यालयीय सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में संस्कृत की भाषण, श्लोकोच्चारण व संस्कृत गीत प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करवाया जाये या पृथक् से अथवा संस्कृत फेयर में ही इसे शामिल किया जाए । इस पर निदेशक महोदय ने कहा कि यह बहुत अच्छा सुझाव है। इसके क्रियान्वयन हेतु उन्होंने एक समिति गठित करने का आदेश दिया जो सम्पूर्ण प्रारूप बनाकर देगी और इसके क्रियान्वयन हेतु कार्य करेगी।इसके साथ परिषद् ने मांग की कि जिन विद्यालयों में संस्कृत प्रवक्ता के पद सृजित हैं उनमें यह पद न तो समाप्त किए जाएं और न ही रुपान्तरित किए जाएं ।
प्रदेश में लगभग 131 राजकीय महाविद्यालय हैं जिनमें 66 महाविद्यालयों में संस्कृत विषय है लेकिन शेष महाविद्यालयों में अभी तक यह विषय नहीं दिया गया है अतः शेष महाविद्यालयों में भी संस्कृत विषय शुरू किया जाए तथा इनके लिए पद सृजित किए जाएं।
संस्कृत महाविद्यालयों में रिक्त आचार्यों के पदों को भरा जाए तथा प्राचार्यों के पद भी संस्कृत संवर्ग से भरें जाएं।
इसके साथ प्रत्येक जिला में एक सरकारी संस्कृत महाविद्यालय खोला जाए।
विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आचार्यों के रिक्त पदों को यथाशीघ्र भरा जाए तथा प्रदेश विश्वविद्यालय में प्राच्यविद्या संकाय खोला जाए।
क्लस्टर विश्वविद्यालय मण्डी, तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर, वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन तथा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में भी संस्कृत विषय शुरू किया जाए और इनसे संबंधित विषयों का अध्ययन संस्कृत माध्यम से इनमें करवाया जाए । इस पर निदेशक महोदय ने कहा कि उपरोक्त विषयों पर आपकी मांग सरकार से क्रियान्वयन हेतु अनुशंसा की जायेगी। परिषद् के बीस सूत्रीय मांग पत्र पर उच्चतरशिक्षा निदेशक के साथ चर्चा हुई जिनमें से अधिकतर मांगों पर सहमति बनी। इस बैठक में अतिरिक्त शिक्षा निदेशक प्रशासनिक, महाविद्यालय, एवं विशेषाधिकारी संस्कृत सहित नौ जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा डॉ पंकज ललित की अध्यक्षता में संस्कृत शिक्षक परिषद् की बैठक
दूसरे सत्र की बैठक प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय में निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा डॉ पंकज ललित की अध्यक्षता में हुई जिसमें 18 सूत्रीय मांग पत्र पर चर्चा की गई। सबसे पहले टीजीटी पदनाम के संदर्भ में विस्तृत चर्चा हुई और परिषद् ने टीजीटी पदनाम हेतु निदेशक का आभार प्रकट किया। इसके साथ शास्त्री अध्यापकों को इक्डोल से बीएड हेतु आ रही समस्या से अवगत करवाया जिस पर निदेशक महोदय ने निदेशक पत्राचार विभाग से बात की और भविष्य में इसका समाधान निकालने का आश्वासन दिया। परिषद् ने मांग रखी कि सभी जिला उपनिदेशकों को वरिष्ठता सूची जारी करने के लिए कहा जाये क्योंकि काफी समय से यह लंबित है। माननीय निदेशक के गतवर्ष के आदेशानुसार संबन्धित अधिकारी/कर्मचारी इसमें बिलम्ब कर रहे हैं तथा नियमित हुए सभी अध्यापकों की सेवा पुष्टि (Service Confirmation) यथाशीघ्र की जाये। क्योंकि बहुत वर्षों से यह सेवा पुष्टि नहीं हुई है। इस पर निदेशक महोदय ने तत्काल इस कार्य के लिए आदेश दिए और कहा कि सितम्बर मास तक सभी अध्यापकों की वरिष्ठता सूची बन जायेगी। परिषद ने पक्ष रखा कि प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय में उच्च शिक्षा निदेशालय की तर्ज पर विशेषाधिकारी संस्कृत या संस्कृत समन्वयक का पद शास्त्री वर्ग से सृजित किया जाए । इसके साथ जिला उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा के कार्यालय में भी एक पद शास्त्री अध्यापकों से ही जिला समन्वयक संस्कृत का सृजित किया जाए। इससे संस्कृत के विकास एवं संवर्धन में बल मिलेगा। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार की संस्कृत के विकास हेतु चलाई जा रही गतिविधियों एवं संस्कृत छात्रवृत्ति के प्रसार का कार्य विधिवत् हो सकेगा। क्योंकि प्रदेश की दूसरी राजभाषा संस्कृत है और उसके क्रियान्वयन हेतु यह अति आवश्यक है। इस निदेशक महोदय ने एक सार्थक प्रारूप बनाकर एक सप्ताह के भीतर भेजने को कहा।ताकि मामला सरकार को प्रस्तुत किया जा सके। परिषद ने मांग की कि प्रदेश सरकार के निर्णयानुसार अग्रिम सत्र में ही तीसरी कक्षा से संस्कृत विषय शुरू किया जाए जिसके लिए शिक्षा बोर्ड ने पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिया है। इसके लिए प्राथमिक स्तर पर शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाये भविष्य में डाइट के माध्यम से जो डी.एल.एड. करवायी जाती है उसमें भी संस्कृत विषय शामिल किया जाए। इस पर भी निदेशक ने अपनी स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने कि कक्षा छठी से आठवीं तक पाठ्यक्रम में संस्कृत व्याकरण की पुस्तक नहीं है जबकि सीबीएसई में यह पुस्तक लगी है। जिससे छात्रों को भाषा ज्ञान में सरलता रहती है। अतः कक्षा छठी से आठवीं के लिए संस्कृत व्याकरण की संयुक्त पुस्तक लगाई जाए। इसके निर्माण हेतु परिषद् ने पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा। निदेशक ने इस संदर्भ में और विद्यालयों में संस्कृत की गतिविधियों के संचालन हेतु एक समिति गठित करने का आदेश दिया। बैठक में 18 बिन्दुओं पर चर्चा हुई। इस बैठक में परिषद् के नौ जिलों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।