सदन में नेगी ने कहा कि 26 फरवरी के दिन जब हाउस को सुबह 11 बजकर 16 मिनट के आसपास स्थगित कर दिया था, फिर दोबारा से 12.46 पर हाउस को रिकॉल किया और विपक्ष को हॉउस में पहुंचने के लिए मात्र 4 मिनट का समय दिया गया. सदन की कार्यवाही 12.50 पर शुरू की गई. जगत नेगी ने कहा कि 4 मिनट के भीतर सदन के भीतर पहुंचना संभव नहीं था. नियमों की अनदेखी की गई. सदस्यों के निलंबन को नेगी एकतरफा कार्रवाई करार दिया.
इस पर स्पीकर ने कहा कि प्रश्नकाल के बाद व्यवस्था दी जाएगी. स्पीकर के इस फैसले से विपक्ष बिफर गया और निलंबन रद्द करने की मांग करते और नारेबाजी करते हुए वॉकऑउट कर दिया. सदन से बाहर आकर नेगी ने बड़ा बयान दिया. राज्यपाल से माफी मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि डेडलॉक को खत्म करने के लिए राज्यपाल भी पहल कर सकते हैं. वो विपक्षी सदस्यों को बातचीत के लिए बुलाएं. नेगी ने कहा कि राज्यपाल भगवान नहीं हैं, संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति हैं. माफी सीएम को मांगनी चाहिए, सत्र के पहले दिन सुरक्षा में चूक हुई और सरकार की मानसिक चूक हुई है. प्रश्नकाल के बाद सीएम ने प्वॉइंट ऑफ ऑर्डर पर जबाव दिया और स्पीकर की ओर की गई कार्रवाई को सही ठहराया.