हिमाचल पर खरबों का कर्ज, फिर भी मुख्य सचिव के लिए खरीदी 42 लाख की कैमरी गाड़ी।

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक बदहाली और खरबों की कर्जदारी के बावजूद मुख्य सचिव के लिए लगभग 42 लाख रुपये की कैमरी हाइब्रिड गाड़ी खरीदी गई है। मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। इस मामले को पूर्व एचएएस अधिकारी बीआर कौंडल ने उठाया है।

कौंडल ने आरोप लगाया है कि बजट पेश करने से कुछ दिन पहले ही इस गाड़ी को खरीदा गया। कौंडल पूर्व में मंडी जिला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक रह चुके हैं। उनकी कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी के हिमाचल प्रदेश के प्रभारी सत्येंद्र जैन से भी भेंट हुई है।

यह हाइब्रिड गाड़ी कहने के लिए तो पेट्रोल और बैटरी दोनों से ही चलती है। इसे ईंधन की बचत के नाम पर लिया गया है, लेकिन असल बात यह है कि यह खूब पेट्रोल पी रही है। यानी यह कहने भर को ही इलेक्ट्रिक है। यह मैदानों में ही ईंधन की बचत कर सकती है, जहां एक्सीलेरेटर नाममात्र दबाया जाता है।

पहाड़ी क्षेत्र में यह ईंधन की खूब खपत करती है। जयराम सरकार आमदनी कम और खर्चे ज्यादा करने पर पहले ही घिर चुकी है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को बीआर कौंडल ने सरकार पर असंतुलित बजट पेश करने और अनावश्यक खर्च बढ़ाने के आरोप लगाते हुए उठाया है।

कौंडल ने आरोप लगाया है कि 4 मार्च को बजट 51,365 करोड़ रुपये का पेश किया जाता है, इसमें 9602 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा दिखाया जाता है, जबकि इसे 15 मार्च को 54,592 करोड़ रुपये पारित किया जाता है। ऐसे में तो राजकोषीय घाटा भी बढ़कर 12,829 करोड़ रुपये हो जाना चाहिए, लेकिन सरकार ने घाटे के इस आंकड़े को छिपाने के लिए ऐसा किया है। वहीं, इस संबंध में मुख्य सचिव रामसुभग सिंह का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

अनिल खाची को मुख्य सचिव रहते इस्तेमाल के बाद दी गई थी पुरानी गाड़ी
वर्तमान मुख्य सचिव रामसुभग सिंह से पहले रहे मुख्य सचिव अनिल खाची के पास एक पुरानी कैमरी गाड़ी थी, जिसे पहले एक मंत्री ने लंबे समय तक इस्तेमाल किया था। मंत्री को नई गाड़ी दी गई।

वर्तमान में प्रदेश पर करीब 63 हजार करोड़ रुपये का है कर्ज
हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में करीब 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चढ़ा हुआ है। घाटे के बजट को देखते हुए और कर्मचारियों, पेंशनरों की नई देनदारियों को मद्देनजर रखते हुए यह कर्ज आने वाले महीनों में और बढ़ेगा। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक कर्ज का आंकड़ा 70 हजार करोड़ के पार हो जाएगा।