हमने पूर्व सरकार के लिए कर्ज पर 38,276 करोड़ का ब्याज चुकाया, फिर भी प्रदेश का विकास नहीं रुकने दिया: जयराम ठाकुर

Description of image Description of image

हमने पूर्व सरकार के लिए कर्ज पर 38,276 करोड़ का ब्याज चुकाया, फिर भी प्रदेश का विकास नहीं रुकने दिया: जयराम ठाकुर

मुख्यमंत्री को झूठ बोलने के बजाय प्रदेश के हितों का ध्यान रखना चाहिए

शिमला, 21 मार्च। भारतीय जनता पार्टी के विधायक मंडल द्वारा सदन से वॉकआउट करने के बाद मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, तब 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला था। बावजूद इसके, कोरोना महामारी जैसी विकट परिस्थितियों के बीच भी प्रदेश में विकास कार्यों को बाधित नहीं होने दिया गया।

पूर्व सरकार की वित्तीय नीतियों पर जोर

जयराम ठाकुर ने बताया कि भाजपा सरकार ने 2016 से लंबित पड़े वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया। साथ ही, 5 साल के कार्यकाल के दौरान पूर्व सरकार द्वारा लिए गए कर्ज के बदले 38,276 करोड़ रुपये ब्याज और ऋण अदायगी के रूप में चुकाए गए। भाजपा सरकार की ऋण वापसी दर 95% से अधिक थी, और पहले दो वर्षों में यह 131.5% तक पहुंच गई थी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने 100 रुपये का कर्ज लिया, तो 131 रुपये की अदायगी की गई। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण वैश्विक आर्थिक संकट से हिमाचल भी अछूता नहीं रहा।

मुख्यमंत्री पर लगाए गंभीर आरोप

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री को अब इधर-उधर की बातें करने और केंद्र सरकार या पूर्व भाजपा सरकार पर आरोप लगाने के बजाय अपनी नाकामी को स्वीकार करना चाहिए। प्रदेश के हितों की रक्षा पूरी ईमानदारी से करनी चाहिए, क्योंकि उनकी असंगत नीतियों और कार्यशैली के कारण प्रदेश की छवि बार-बार धूमिल हो रही है और आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

पुलिस अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट से उजागर हुए हालात

पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में जयराम ठाकुर ने कहा कि अधिकारियों की प्रताड़ना के कारण हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता की जान चली गई। इस मामले में सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लगातार दो पोस्ट की हैं, जिससे प्रदेश में बढ़ रही प्रशासनिक अराजकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस तरह की स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई थी, इसलिए मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को प्रताड़ना का सामना न करना पड़े।