पहाड़ को चीर कर बाहर निकले 41 वीर, उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन हीरो बन कर उभरे रैट माइनर्स

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू अभियान में 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। सिलक्यारा में सबसे ज्यादा चर्चा ऑगर मशीन की हुई। तमाम चुनौतियों के बावजूद इस मशीन की मदद से 49 मीटर निकासी सुरंग बनाई गई। केंद्र व राज्य सरकार के कई उपक्रमों, एजेंसियों के साथ सेना ने भी राहत बचाव कार्यों में दिन-रात महत्वपूर्ण योगदान दिया, पर इस अभियान में रैट माइनर्स नायक बनकर उभरे।

शक्तिशाली ऑगर मशीन के फंसने के बाद पाइप टनल में उतरे रैट माइनर्स ने 24 घंटे के भीतर से हाथों से खुदाई कर 41 जिंदगियों को बचाने में अहम भूमिका निभाई। मलबा आने से बंद सुरंग में ऑगर मशीन के जरिये पाइप टनल बनाने का काम शुरू हुआ। इसमें ऑगर मशीन के इंजीनियरों-कर्मचारियों ने अहम योगदाग दिया। बाकी बचाव एजेंसियों ने भी शानदार काम किया।

लेकिन जब मशीनें फेल हो गईं तो अंत में संषर्घपूर्ण अभियान में रैट माइनर्स फिनिशर साबित हुए। फंसे श्रमिकों की सकुशल निकासी में रैट होल माइनर्स का हुनर और तजुर्बा काम आया। एनडीएमए की ओर से भी बताया गया कि 24 घंटे के भीतर 10 मीटर खोदाई करने में रैट होल माइनर्स की अहम भूमिका रही।

पूर्व में थी रोक : रैट होल माइनर्स तकनीक का प्रयोग निर्माणाधीन स्थलों पर मुसीबत के वक्त होता रहा है। वर्ष 2014 में एनजीटी ने मेघालय में रैट होल माइनिंग से होने वाले कोयला खनन पर रोक लगाई थी। रैट होल माइनिंग संकरी सुरंग बनाने की प्रक्रिया है। इसके लिए तीन से चार फीट ऊंची खुदाई की जाती है, ताकि मजदूर आसानी से कोयला निकाल सकें।

टनल एक्सपर्ट डिक्स की भी अहम भूमिका
उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने में दुनियाभर के कई विशेषज्ञ शामिल थे। सबसे अहम भूमिका टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने निभाई। प्रो.डिक्स ऑस्ट्रेलिया से दो दिन की यात्रा कर 19 नवंबर को सिलक्यारा पहुंचे। डिक्स को इंजीनियरिंग,भूविज्ञान और जोखिम प्रबंधन में तीन दशक का अनुभव है। मंगलवार को डिक्स सुरंग के मुहाने पर बौखनाग देवता की पूजा में शामिल हुए। इससे पहले भी उन्होंने यहां पूजा की थी। इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स केंद्र सरकार के अनुरोध पर वह यहां आए।