हरियाणा में हो रही है ‘खून की दलाली’, अब खून के काले खेल पर अंकुश लगाने की तैयारी।

क्या कभी आपने भी रक्तदान किया है यदि हां तो आपके लिए यह खबर बहुत जरूरी है, क्योंकि कुछ ब्लड बैंक के संचालकों की इंसानियत इतनी गिर गई है कि चंद पैसों के लालच में लोगों को जीवन दान देने वाले रक्त का ही व्यपार शुरू कर दिया। लोगों द्वारा दान में दिए गए रक्त को मुनाफा कमाने के लिए ऊंची दरों पर बेच कर काली कमाई की जा रही रही है। इसका खुलासा तब हुआ जब हरियाणा एफडीए और केंद्र सरकार की संयुक्त टीम ने छापा मारा। छापेमारी के बाद थाने में केस दर्ज कर लिया गया है।

खून के काला कारोबार का सारा खेल रक्‍तदान शिविरों के नाम पर होता है। दरअसल मामला तब संज्ञान में लिया गया जब कोरोना काल में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल बंद रहे। तब न तो ज्यादा सर्जरी हुई और न ही डिलीवरी केस अस्पतालों में आए। सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ भी काफी नीचे आ गया था। इसके बावजूद ब्लड बैंकों में रक्त की कमी इसकी अवैध बिक्री और कालाबाजारी की तरफ इशारा कर रही है। कुछ दिन पहले रोहतक जिले के महम में बिना परमिशन के कैंप लगा। यहां ब्लड लेने के लिए झज्जर तक से लोग आए। सामने आया कि झज्जर के सामान्य अस्पताल के सामने स्थित शिवधन ग्लोबल ब्लड बैंक की ओर से रोहतक की संस्था सिद्धि विनायक सेवा संस्थान के सहयोग से कैंप लगाया गया। 23 यूनिट ब्लड बरामद किया।

गौरतलब है कि फर्जी रक्तदान शिविर लगा कर खून बेचने का काला धंधा का फलता फूलता करोबार जब चिकित्सा शिक्षा समिति के संज्ञान में आया तब उन्होंने ये मामला उछाला कि विभिन्न जिलों में आयोजित होने वाले रक्तदान शिविरों का कोई ब्योरा सरकार के पास नहीं रखा जाता। जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी अधिकृत रूप से इन शिविरों की जानकारी नहीं होती।

समाजसेवी संगठन रक्त एकत्र करने की मंशा से शिविर आयोजित करते हैं और लोग समाजसेवा की भावना से ओतप्रोत होकर इन शिविरों में रक्तदान करते हैं। जांच में खुलासा हुआ रक्‍त बाद में कहां जाता है, इसका किसी को पता नहीं होता। वास्तविकता में किसी भी शिविर के आयोजन से लेकर उसमें एकत्र होने वाले रक्त, उस रक्त को संबंधित ब्लड बैंक में भेजने तथा वहां से आधार कार्ड के जरिये मरीज या उनके तीमारदारों को यह रक्त डोनेट (दान) करने की पूरी जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय में होनी चाहिए।

विधानसभा की विधायी समिति ने इस बारे में तमाम सवाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से पूछे हैं, लेकिन विधायी समिति को कोई संतोषजनक जवाब या रिकार्ड उपलब्ध नहीं हो सका। इस आधार पर समिति ने आशंका जाहिर की है कि रक्तदान शिविरों में एकत्र होने वाले रक्त को निजी ब्लड बैंकों में बेचे जाने की सूचनाएं सही हो सकती हैं। इस गोरखधंधे की वजह से वास्तविक समाजसेवी संगठनों की गतिविधियों को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। विधायी समिति का मानना है कि रक्त किसी फैक्ट्री में नहीं बनता। इसलिए उसके दान से लेकर संबंधित व्यक्ति को चढ़ाए जाने तक का पूरा हिसाब स्वास्थ्य विभाग के पास होना चाहिए।

विधायी समिति का मानना है कि एक जिले में औसतन एक हजार यूनिट रक्त इकट्ठा होता है। अमूमन 200 यूनिट रक्त थैलीसीमिया के मरीजों को, 50 यूनिट डिलीवरी केस में और 50 यूनिट सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामले में इस्तेमाल होता है। कमेटी के अनुसार, ऐसे में बाकी बचा 700 यूनिट रक्त कहां गया, यह तहकीकात का विषय है। अगर सीएमओ के पास इसका पूरा हिसाब होगा तो समाजसेवियों द्वारा दिए जाने वाले रक्त के बेचे जाने की दुर्गति नहीं होगी तथा जरूरतमंद लोग निजी ब्लड बैंकों से अधिक रेट पर रक्त खरीदने के लिए मजबूर नहीं हो सकेंगे।

विधायी समिति को इस बात की भी आशंका है कि रक्त बिक्री का यह कारोबार अंतरराज्यीय स्तर पर हो रहा है। सरकारी आंकड़े भी इस बात के गवाह हैं कि हर साल करीब सवा लाख यूनिट रक्त समाजसेवियों द्वारा दान किया जाता है, लेकिन इस्तेमाल कितना होता है, यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं बता पाते। विधायी समिति ने स्वास्थ्य विभाग के समक्ष कुछ सिफारिशें की हैं, जिनके आधार पर रक्तदान शिविर आयोजित होने से लेकर उनमें रक्तदान करने वाले, इकट्ठा होने वाले रक्त, उस रक्त को संबंधित ब्लड बैंक में भेजने और वहां से रिलीज होने वाले रक्त की पूरी जानकारी हो सकेगी।

अब ये मामला स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच करवाने की बात कह दी। लेकिन अब खून का प्राइवेट ब्लड बैंकों की आड़ में खून इकट्ठा कर रही बसे जो फ्री में लोगों का खून निकालकर बेचने का धंधा कर रही थी उन पर लगाम लगाने की तैयारी हो गई है। अब कोई भी समाजसेवी संस्थाए हो या दानी संस्था, बिना सीएमओ की अनुमति के रक्तदान शिविर नहीं लगा पाएंगी। यदि जिले में कोई संस्था बिना अनुमति के रक्तदान शिविर आयोजित करती है तो उन पर सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने इस संबंध में नजर रखने के लिए कमेटी का गठन किया है। उक्त कमेटी जिले में आयोजित किए जाने वाले हर रक्तदान शिविर पर निगरानी रखेगी और उसकी रिपोर्ट जिला स्वास्थ्य अधिकारी को सौपेंगी।

बता दें कि स्टेट ड्रग कंट्रोल मनमोहन तनेजा एफडीए अब रक्तदान शिविर को लेकर सख्त हो गई है और जिला स्वास्थ्य विभाग को निर्देश जारी किए है कि वे जिले में हो रहे रक्तदान शिविर पर नजर बनाए रखे और जो भी बिना अनुमति के रक्तदान शिविर आयोजित करता है, उसके खिलाफ कार्रवाई करे। मुख्यालय से निर्देश मिलने पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कमेटी का गठन कर दिया है। उक्त कमेटी के सदस्य जिले में लगने वाले हर रक्तदान शिविरों पर नजर रखेगें।