शिमला। कांग्रेस सरकार के समय में शिमला के लिए जिस स्मार्ट सिटी मिशन को मंजूर करवाया गया था, भाजपा उसके पैसों का दुरुपयोग कर रही है। मिशन के तहत शहर में किए गए कार्यों में धांधली की जा रही है। कांग्रेस मीडिया डिपार्टमेंट के चैयरमैन एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा है कि कांग्रेस सता में आने पर स्मार्ट सिटि मिशन के पैसों के दुरुपयोग की प्राथमिकता के आधार पर जांच करेगी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत मिलने वाली सुविधाओं से आज तक शहरवासियों को वंचित रखा गया।
कांग्रेस सरकार के समय में स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ था शिमला
शिमला शहर साल पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के समय में स्मार्ट सिटी में शिमला किया गया था। कांग्रेस सरकार के अथक प्रयासों से शिमला शहर के लिए 2900 करोड़ का प्लान मंजूर हुथा जिसमें शिमला शहर को आधुनिक बनाया जाना था। इसके तहत शिमला में मार्डन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाने, सड़कों को चौड़ा करने के साथ में कनेक्टिवटी को बढ़ाने और वार्डों में एंबुलेंस रोड बनने थे। इसी तहह शहर की मंडियों को अलग से बसाया जाना था। झुग्गियों में बसने वाले परिवारों का पुनर्वास करना, ठोस और तरल कचरा प्रबंधन, खुले पार्कों का निर्माण किया जाने था। शहरवासियों को चौबीस घंटों स्वच्छ पानी देने के साथ ही सीवरेज सिस्टम सुधरना था।
शहरी विकास मंत्री के अधीन हो रही पैसों की बर्बादी
नरेश चौहान ने कहा है कि शहर में स्मार्ट सिटी के तहत करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए, मगर लोग आज भी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। शहर में अभी कई जगह सड़कों को चौड़ा नहीं किया गया और कुछ जगह सड़क चौड़ा करने के नाम पर पैसों की बर्बादी की गई। उन्होंने कहा कि शिमला से विधायक सुरेश भारद्वाज खुद शहरी मंत्री है और उनके अधीन ही पैसों की यह बर्बादी खुलेआम हो रही है। उन्होंने कहा कि शहरी विकास मंत्री इसकिए जवाबदेह हैं। शहर की जनता उनसे इसका हिसाब किताब मांग रही है। शिमला में लोग पानी के लिए तरह रहे हैं और शहर में ट्रांसपोर्ट सिस्टम को सुधारने के नाम पर कुछ नहीं किया गया। शहर में ट्रैफिक जाम से निजात नहीं मिली। पार्किंगों का निर्माण नहीं किया गया और लोगों को अपनी गाड़ियां पार्क करने के लिए जूझना पड़ रहा है।
ओवरहैड ब्रिज ऐसी जगह बनाए जहां कोई चलता ही नहीं
शिमला में स्मार्ट सिटी के तहत कई जगह जो ओवरहेड ब्रिज बनाए गए वहां कोई चलता ही नहीं। जहां जरूरत है वां बनाए ही नहीं। इसी तरह शहर में कई जगह एस्केलेटर बनाए जाने थे, जो कि अभी तक नहीं बनाए गए। शिमला में स्मार्ट सिटी के पैसों का दुरूपयोग किस कदर किया गया है, इसकी एक बानगी शिमला के लिए खरीदी गई सफाई मशीनें हैं। स्मार्ट सिटी के तहत मशीनें करीब 5 करोड़ में खरीदी गई हैं। मजे की बात यह है कि करीब एक करोड़ की एस्सरिज नगर निगम को अपने फंड से हर साल खरीदनी पड़ेगी, अगर इसी पैसे से शहर में सफाई कर्मी लगाए गए होते तो उनको रोजगार तो मिलता ही साथ में शहर में सफाई व्यस्था भी बेहतर होती।
एक ही काम की डीपीआर बार-बार बनाने पर सवाल
नरेश चहान ने शिमला में बार-बार एक ही कार्यों की डीपीआर बनाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि एक ही काम के लिए फिर से डीपीआर बनाने की बातें लगातार सामने आ रही है, जो कि शहरी विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है।
नरेश चौहान ने कहा है कि कांग्रेस स्मार्ट सिटी के पैसों के दुरुपयोग को लेकर पहले से आवाज उठा रही है और सता में आने पर कांग्रेस इसकी प्राथमिकता से जांच की जाएगी ताकि इसके लिए जिम्मेवारी तय की जा सके।