हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर , बरठीं रोड पर पारम्परिक पेयजल स्रोत में 12 महीने चलता है पानी।

बिलासपुर घुमारवीं _29 अप्रैल हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर में घुमारवीं उपमंडल से तीन किलोमीटर बरठीं रोड पर गांव बाड़ी मझेरवां के पास स्थित ठंडे पानी का यह खूबसूरत नजारा जंगल के बीच स्थित है । इस स्त्रोत में शीतल जल 12 महीने चलता रहता है ।

कई वर्ष पहले इसी स्त्रोत से गांव बाड़ी मझेरवां और करंगोड़ा के लोग पीने का पानी ले जाते थे । आज भी कुछ लोग सुबह मॉर्निंग वॉक करते करते समय पीने के लिये पानी यही से ले जाते है ।
हिमाचल प्रदेश में भी अन्य पहाड़ी प्रदेशों की तरह कई तरह के प्राकृतिक जलस्रोत उपलब्ध हैं। पहाड़ से फूटते हुए जलस्रोत के आगे बाँस, लकड़ी, या पत्थर की नाली लगा दी जाती है जिससे होकर पानी की धारा नीचे गिरती है। इसे जिला बिलासपुर में नाडू, पणिहार, कहा जाता है।

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर, मण्डी जिले के कुछ क्षेत्रों में ऐसे पनिहारों का ऐतिहासिक महत्त्व रहा है और इन्हें बहुत मेहनत से बनाने की परम्परा रही है।

इन शिलाओं को जल स्रोत के आगे दीवार बनाकर जलस्रोत के सामने इस तरह लगाया जाता है कि शिला के बीच में किया गया चौकोर 5-7 इंच चौड़ छेद स्रोत की सीध में आये। उस छेद में से पत्थर की चौकोर नाली बनाकर गुजारी जाती है जिसे जलस्रोत से सटा दिया जाता है, इस नाली नुमा पाइप से जल आता है और धारा के रूप में नीचे गिरता है।

आने वाले समय में पानी की माँग बढ़ती जाएगी और पानी की मात्रा घटती जाएगी। ऐसे में नलका संस्कृति के चलते उपजी लापरवाही से बचना होगा और इन पारम्परिक व्यवस्थाओं को सम्भालना होगा।