खेल में करियर की उम्र होती है” – अजय ठाकुर

जयपुर :- भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान श्री अजय ठाकुर ने बच्चों से संवाद के दौरान कहा – “बच्चों को खेल में करियर बनाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है| खेल में करियर देखने वाले बच्चों के लिए सबसे बड़ी समस्या है कि उनके अभिभावक इसके लिए राज़ी नहीं होते हैं| यदि उन्हें मना भी लिया जाए तो खेलों के लिए संसाधनों की कमी काफी है | इसके आलावा खेलों में भ्रष्टाचार इतना अधिक है कि बिना गॉडफादर के खेलों में तरक्की करना काफी मुश्किल है| कोई व्यक्ति इन सभी चुनौतियों को पार करके ही इस क्षेत्र में करियर बना सकता है|

इसका अर्थ यह नहीं है कि बच्चे इस क्षेत्र में अपना भविष्य नहीं देखें| खिलाड़ी को पूरी मेहनत करके इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए एक सफल खिलाड़ी बनना होता है| खेल में एक उम्र है जिसके बाद किसी बड़े खिलाड़ी को भी जमीनी स्तर पर रहकर ही कार्य करते हुए अपनी आजीविका चलानी होती है|

हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्वाधान में एल. आई. सी. द्वारा प्रायोजित और डिजिटल बाल मेला द्वारा आयोजित बच्चों की सरकार कैसी हो? अभियान के तहत भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान और ऊना के डीएसपी. पद्मश्री अजय ठाकुर ने बच्चों से संवाद किया. इस संवाद सत्र में उन्होंने बच्चों को “खेल और प्रशासन के बीच अंतर, शोहरत और चुनौतियों के बारे में बताया. दोपहर 2 बजे गूगल मीट पर हुए इस संवाद सत्र में हिमाचल प्रदेश सहित देशभर के बच्चों ने भाग लिया| हिमाचल प्रदेश के कई स्कूल्स भी इस सत्र में जुड़े और उन्होंने श्री अजय ठाकुर से अपने – अपने प्रश्न पूछे| श्री अजय ठाकुर को भी बच्चों के साथ बातें कर इतना आनंद आया की उन्होंने शाम 9 बजे फिर से बच्चों से संवाद करने की इच्छा जाहिर की|

पद्मश्री अजय ठाकुर ने इस संवाद सत्र में थोड़ी देर से शामिल होने के लिए सभी बच्चों से माफ़ी मांगी और सत्र के शुरुआत में अपना खेल और प्रशासनिक सेवा का अनुभव बच्चों के साथ साझा किया| जयपुर की लावण्या राठौड़ के प्रश्न से प्रभावित होकर श्री अजय ठाकुर ने उन्हें इस सत्र की लीडर चुना| आपको बता दें कि लावण्या ने खेल के दौरान प्रदर्शन का दबाव और मैदान के बाहर अपनी छवि को ध्यान में रखते हुए शारीरिक और मानसिक दबाव को हैंडल करने के सम्बन्ध में प्रश्न किया था|

इस सत्र के दौरान अजमेर के अच्युतम तिवारी ने प्रश्न पूछा कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद कम खेला जाता है| इसका क्या कारण है?
इसका जवाब देते हुए श्री अजय ठाकुर ने कहा कि यह भारत के लोगों और स्पॉन्सरशिप के ऊपर निर्भर करता है| जिस खेल को अधिक स्पॉन्सरशिप मिलेगी वही खेल अधिक खेला जायेगा और उसी की लोकप्रियता अधिक बढ़ेगी|

 

कसौली के तुषार आनंद ने श्री अजय ठाकुर से पूछा कि प्रशासनिक सेवा में प्रभावशाली व्यक्तियों और राजनेताओं का दबाव होता है इसपर आप कैसे काम करते हैं?

इसका जवाब देते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि राजनीतिक दबाव जैसी कोई चीज नहीं होती है| एक अधिकारी होने के नाते अगर आप जनता या फरियादी से प्यार से बात कर उनकी समस्या सुनेंगे तो आप पर कोई दबाव नहीं आएगा| लेकिन यदि आप उनसे ठीक से बात नहीं करेंगे तो फिर आप पर दबाव बनाया जा सकता है| इससे बचने का यही उपाय है कि सभी से प्रेमपूर्वक बात कर उनकी समस्याएँ सुनीं जाएँ और ईमानदारी से उनका समाधान किया जाये|

 

डिजिटल बाल मेला की फाउंडर जान्हवी शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व कई विधायक, मंत्री प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार सहित हिमाचल प्रदेश की बड़ी हस्तियाँ बच्च्चों से संवाद कर चुकी है| 26 मई को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष श्री राजीव बिंदल और हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री कुलदीप सिंह पठानिया ने बच्चों से संवाद किया था|

गौरतलब है कि ये सभी संवाद सत्र उन विधायक दावेदारों की ट्रेनिंग का हिस्सा है जो 12 जून को हिमाचल प्रदेश विधानसभा बाल सत्र में शामिल होंगे, एच. पी. विधानसभा अध्यक्ष श्री कुलदीप सिंह पठानिया इस सत्र की अध्यक्षता करेंगे जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और राज्यसभा के उप – सभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह शामिल होंगे|