हल्द्वानी बाल संप्रेक्षण गृह में नाबालिग से रेप के बाद महिला कर्मियों से 5 घंटे पूछताछ, जांच में खुले चौंकाने वाले राज।

बाल संप्रेक्षण गृह में रह रही नाबालिग से दुष्कर्म के मामले की जांच देहरादून से आई टीम ने शुरू कर दी है। रविवार को टीम ने बाल संप्रेक्षण गृह में रह रही किशोरियों से बातचीत की। मामले की महिला आरोपियों से भी पूछताछ की गई।

इसके बाद टीम ने पुलिस और बाल कल्याण समिति की ओर से जुटाए गए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और किशोरी से जुड़े दस्तावेज भी खंगाले। किशोरी से मुलाकात और बातचीत के बाद टीम लौट गई। मंगलवार को टीम अपनी रिपोर्ट शासन में दाखिल करेगी।

महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने मुख्य परिवीक्षा अधिकारी महिला कल्याण विभाग मोहित चौधरी और उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता की टीम बनाकर मामले की जांच के निर्देश दिए थे। मंत्री ने तीन दिन में मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।

रविवार सुबह करीब 8:30 बजे दोनों अधिकारी बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचे। यहां रह रही किशोरियों से बातचीत की। मामले की आरोपी महिला कर्मचारियों से भी अलग-अलग पूछताछ की गई। वहीं समिति ने दूसरे बाल संस्थान जाकर पीड़िता से भी बात की है।

जांच अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज, अस्पताल के अभिलेख व किशोरी के बयान का रिकॉर्ड भी सुरक्षित रखा है। दोपहर करीब डेढ़ बजे देहरादून से आए अधिकारी बाल संप्रेक्षण गृह से लौट गए। टीम की सदस्य उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता ने बताया कि मामले में अभी पूछताछ चल रही है।

तीन दिन में रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। इधर डीएम के निर्देश पर तहसीलदार लालकुआं मनीषा बिष्ट ने भी बाल संप्रेक्षण गृह का निरीक्षण किया। पीड़िता से मिलकर उसका हालचाल जाना।

दोषी मिलूं तो दे देना फांसी…
रविवार को संप्रेक्षण गृह पहुंची देहरादून के अधिकारियों की टीम ने महिला आरोपियों से भी पूछताछ की। इस दौरान एक महिला कर्मचारी रो पड़ी। रोते हुए अधिकारियों को बताया कि वर्ष 2024 में उसकी सेवानिवृत्ति है।

विभागीय सूत्रों के मुताबिक महिला ने कहा कि अगर जांच में वह दोषी पाई जाती है तो उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाए। लेकिन आरोप गलत पाए जाते हैं तो उसकी सार्वजनिक रूप से खराब हुई छवि की पूर्ति कैसे हो पाएगी।

किशोरी के बयानों से उलझन में अफसर
शनिवार से लेकर रविवार शाम तक पीड़िता से अलग-अलग बयान लिए गए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हर बार बयान में अलग बात सामने आ रही है। इसकी वजह से अफसर भी उलझन में हैं। वहीं मामले में सीधे न्यायालय की निगरानी के चलते पुलिस व प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।

देहरादून से अधिकारियों की टीम आई थी। उन्होंने मामले की जांच कर रिकॉर्ड को सुरक्षित किया है। महिला कर्मचारियों से पूछताछ के साथ-साथ यहां रहने वाली अन्य किशोरियों से भी बातचीत की है। शासन के निर्देशानुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।