कठुआ में जारी आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन: अब तक चार जवान शहीद, सर्च अभियान में लगातार चुनौतियाँ
कठुआ (जम्मू-कश्मीर), 8 अप्रैल 2025:
जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले में बीते 13 दिनों से आतंकवाद विरोधी बड़ा ऑपरेशन जारी है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज़ छह किलोमीटर दूर स्थित इस संवेदनशील इलाके में सुरक्षा बल आतंकवादियों की तलाश में लगातार तलाशी अभियान चला रहे हैं।
अब तक की जानकारी के अनुसार, इस अभियान में चार पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं, जबकि पाँच जवान घायल हुए हैं। सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराने का दावा किया है, जबकि तीन अन्य आतंकियों की तलाश अब भी जारी है।
ऑपरेशन की अगुवाई खुद डीजीपी कर रहे हैं
इस ऑपरेशन की खास बात यह है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक नलिन प्रभात स्वयं मोर्चे पर डटे हुए हैं। एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वे AK-47 के साथ सर्च ऑपरेशन में हिस्सा लेते नजर आए — ऐसा दृश्य पिछले तीन दशकों में पहली बार देखा गया।
जंगलों में छिपे आतंकियों की तलाश मुश्किल
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ऑपरेशन का क्षेत्र घने जंगलों और ऊँची पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिससे तलाशी अभियान में विशेष कठिनाइयाँ आ रही हैं। ड्रोन और अन्य तकनीकी उपकरणों की सहायता भी सीमित हो गई है, क्योंकि घने पेड़ों के बीच से आतंकियों को ढूंढना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
एक ही ग्रुप के हैं आतंकी, दो मारे जा चुके, तीन अब भी फरार
सूत्रों के मुताबिक, ये सभी आतंकी एक ही समूह के सदस्य हैं जो शुरुआती मुठभेड़ के बाद अलग-अलग दिशाओं में फरार हो गए। सुरक्षा बल अब इन बचे हुए तीन आतंकियों की घेरेबंदी में जुटे हैं।
ऑपरेशन की टाइमलाइन: क्या-क्या हुआ अब तक?
23 मार्च 2025:
सान्याल इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर ऑपरेशन शुरू हुआ। पहले ही दिन एक बच्ची घायल हुई, लेकिन आतंकी फरार हो गए।
27 मार्च 2025:
जुटाना क्षेत्र में मुठभेड़ में चार पुलिसकर्मी शहीद हुए। दो आतंकी मारे गए, जबकि तीन भाग निकले।
31 मार्च 2025:
बिलावर के जंगलों में मुठभेड़ के बाद इलाके की घेराबंदी की गई। ऑपरेशन में CRPF, सेना और J&K पुलिस की विशेष टीम शामिल है।
स्थानीय महिला से मिली थी शुरुआती सूचना
बताया जा रहा है कि सान्याल गांव की एक महिला ने पाँच संदिग्धों को देखा था, जिसकी जानकारी उसने पुलिस को दी। यही सूचना इस बड़े ऑपरेशन की शुरुआत बनी।
कठुआ का भौगोलिक संकट बना बाधा
कठुआ ज़िला जंगलों, ऊँचे पहाड़ों और गुफाओं से भरा हुआ इलाका है, जिससे ऑपरेशन बेहद कठिन बन गया है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक सभी आतंकियों का सफाया नहीं हो जाता, तब तक ऑपरेशन जारी रहेगा।
चरमपंथियों को मिल रही है प्रशिक्षित ट्रेनिंग
पूर्व डीजीपी शिवपाल वैद ने बताया कि इन आतंकियों को जटिल परिस्थितियों में जीवित रहने की ट्रेनिंग दी गई है। यही वजह है कि वे इतने दिनों से सुरक्षा घेराबंदी से बचते फिर रहे हैं।
पाकिस्तान पर उठी उंगली
पुलिस का मानना है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन हो सकते हैं। कठुआ, जो पहले भी आतंकवाद की चपेट में रहा है, एक बार फिर निशाने पर है।
पिछली घटनाएँ भी बढ़ा रहीं चिंता
साल 2024 में कठुआ में हुए हमलों में कई जवान और नागरिक मारे गए थे। हाल ही में इलाके में कई रहस्यमय हत्याएं भी सामने आई हैं, जिनका आतंकियों से संबंध होने की आशंका जताई जा रही है।