साइबर फ्रॉड के अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को अपने झांसे में लेकर उनके खातों से रुपए को एक मिनट में ही उड़ा ले रहे हैं। साइबर फ्रॉड के अपराधी नए-नए तरीके से लोगों को अपने झांसे में ले रहे हैं, इसके लिए सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। साइबर अपराध को रोकने के लिए, ऑनलाइन क्राइम की जानकारी तथा सुरक्षा बारे सतर्क व सक्रिय रहना महत्वपूर्ण है। कंप्यूटर या इंटरनेट का उपयोग करके बीते करीब एक माह में की गई आपराधिक गतिविधियों का विश्लेषण किया गया।
रोहतक रेंज कार्यालय की साइबर सुरक्षा शाखा द्वारा किए गए विश्लेषण से अनेक तरह के ऑनलाइन आपराधिक गतिविधियों का चलन सामने आया है। साइबर अपराधी संवेदनशील जानकारी चुराने, धोखाधड़ी करने, या सामान्य कंप्यूटर संचालन को बाधित करने के लिए हैकिंग, फ़िशिंग, मैलवेयर और रैन्समवेयर जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं। साइबर सुरक्षा में डेटा की गोपनीयता, अखंडता और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक्सेस कंट्रोल और नियमित सिस्टम अपडेट जैसे कई उपाय शामिल हैं।
विश्लेषण करने पर साइबर अपराधियों द्वारा अपनाए जाने वाले मुख्यतः निम्न लिखित तरीके सामने आए हैं। जिनमें मुख्य मुख्य व्हाट्सएप पर किसी जानकार की डीपी लगाकर फ्रॉड करना, सोशल मीडिया पर लालच देकर टास्क को पूरा करने के नाम पर फ्रूट करना, लोन एप फ्रॉड, जानकार बन कर फोन करके पैसों की डिमांड करके फ्रॉड करना, पार्ट टाइम जॉब फ्रॉड, ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर फ्रॉड करना, ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फोन कॉल फ्रॉड, टेलीग्राम/व्हाट्सएप पर लिंक भेज कर ई ट्रेडिंग कंपनी में इन्वेस्ट के नाम पर फ्रॉड करना इत्यादि शामिल हैं।
आईजी राकेश कुमार आर्य ने बताया कि साइबर अपराध को रोकने तथा सुरक्षा के लिए प्रत्येक खाते के लिए मजबूत व सशक्त पासवर्ड होना चाहिए। टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन व अप-टू-डेट सॉफ़्टवेयर हो, संदेहास्पद या अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें, यदि कोई व्यक्ति जानकार बनकर पैसों की मांग करे तो पैसे देने से पहले उसका सत्यापन अवश्य करें, एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें, व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन साझा करने के बारे में सावधान रहें, वित्तीय खातों पर अपनी निगरानी रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।
प्रत्येक उपभोक्ता के लिए ऑनलाइन साइबर अपराध उनसे बचने के तरीको के बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। जानकारी व सतर्कता से ही साइबर अपराध का शिकार होने के अपने जोखिम को कम कर सकते हैं। सावधान रहने से ही अपनी व्यक्तिगत जानकारी और वित्तीय सुरक्षा की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन धोखाधड़ी/ठगी का शिकार हुए लोगों की सुविधा के लिए एक हैल्पलाइन नम्बर 1930 उपलब्ध करवाया गया है। ठगी का शिकार होने पर इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है अथवा cybercrime.gov.in पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
इसके अलावा अपने एरिया से संबंधित साइबर क्राइम थाना या अपने नजदीकी पुलिस थाना में भी पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ठगी का शिकार हुए व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह कि घटना के बाद जितने कम समय में 1930 पर शिकायत दर्ज कराई जाएगी, ऑनलाइन धोखाधड़ी से ठगे गए पैसे वापिस होने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाती है।